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________________ ५१८ लेश्या - कोश कोश की श्रृंखला विराम न लें, चोरड़िया में स्वाध्याय व सृजन दोनों की वृद्धि हो, इसी शुभाशंषा के साथ । १ - योग कोश के इस ग्रन्थ को पूर्ण करने में स्व० मोहनलालजी बांठिया एवं श्रीचन्दजी चोरड़िया ने काफी अध्यवसाय एवं परिश्रम किया है तथा शोधार्थी विद्वानों के लिए मार्ग प्रशस्त किया है । -मुनि सुमेर ( लाडनू ) कलकत्ता - माघ शुक्ल २, संवत् २०५० २ - योग कोश (द्वितीय खण्ड ) एक महत्वपूर्ण कृति है । ३-योग कोश एक महत्वपूर्ण ग्रन्थ है । ४ - यह एक महत्वपूर्ण प्रशंसनीय कृति है । - रतनलाल रामपुरिया २६ जनवरी १६६८ Jain Education International 9 - के० जी० गुप्ता, लाडनूं - प्रो० सी० एन० मुखर्जी जैनागमों के महोदधि के मंथन से निकाले गये नवनीत के रूप में यह ग्रन्थ मुझ जैसे स्वाध्याय प्रेमी व्यक्ति के लिए प्रेरक व पथदर्शक प्रकाशस्तम्भ का कार्य करता है । - परमानन्द सोलंकी, सम्पादक, तुलसी प्रज्ञा -जबरमल भंडारी चीचन्द चोरड़िया द्वारा लिखी गई योग का विश्वकोश ( योग- कोश ) के पहले भाग का परिचय करवाते हुए बेहद हर्ष हो रहा है जो कि इस पण्डितोचित विश्व में जैनत्व के विभिन्न विश्वकोशों में अपने योगदान के लिए प्रख्यात हैं । श्री श्रीचन्द चोरड़िया ने अपने विद्याभिमान से इस पुस्तक को विभिन्न विभागों में विभाजित किया है जैसा कि आमतौर पर पुस्तकालय विज्ञान में अनुसरण किया जाता है । चूंकि यह एक विश्वकोश है इसमें सभी उल्लेख जैन साहित्य में पाए जाने वाले हैं । इनके संग्रह का सबसे महत्वपूर्ण रूप यह है कि इन्होंने अपने सभी उल्लेख जैन पुस्तकों के आधार पर किया गया ना की अपने काल्पनिक विचारों से । इन्होंने इस पुस्तक को सत्यता प्रदान की है । जो कोई भी इनके For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016038
Book TitleLeshya kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year2001
Total Pages740
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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