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________________ ५०४ लेश्या-कोश विषय का संकलन, सम्पादन और प्रकाशन श्लाध्य है। विज्ञ जिज्ञासुओं और अनुसन्धाताओं के लिये तो यह कृति बड़े काम की है। (११) पं० गोपीलाल अमर, ए. ए. साहित्यशास्त्री काव्यतीर्थ, सागर ( म०प्र०) जैन विषय कोश का ऐतिहासिक कार्य हाथ में लेकर आपने बहुत बड़ा साहस किया है। आपको इसमें सफलता भी अच्छी मिल रही है, प्रमाण है 'लेश्या कोश' । इडोलॉजी के क्षेत्र में इस ग्रन्थमाला का व्यापक प्रचार होना चाहिये । मेरी शुभकामनाएं स्वीकारें। (१२) श्री जयन्ती प्रसाद जैन, के० के० जैन कालेज, खतौली (बिहार) लेश्या कोश ग्रन्थ प्राप्त कर अत्यन्त प्रमोद हुआ। वर्तमान शैली के अध्ययन के लिये ऐसे ग्रन्थ रत्नों की भारी आवश्यकता है। आत्मा की उत्फुल्लता व्यक्त करने के लिये शब्द नहीं है । धन्यवाद तो एक व्यर्थ की औपचारिकता ही है। (१३) डा० गुलाबचन्द्र चौधरी, नवनालन्दा महाविहार, नालन्दा यह एक बहुत उपयोगी प्रकाशन हुआ है। लेश्या सम्बन्धी सूक्ष्मातिसूक्ष्म विचारणाओं का संकलन करने में आपने अपनी गहरी विचार शक्ति का परिचय दिया। वर्गीकरण की यह पद्धति अति सुन्दर है। (१४) श्री लक्ष्मीचन्द्र जैन 'सरोज'--जावरा ( म०प्र०) __ आद्योपान्त सिंहावलोकन करने के उपरान्त लगा कि विषयकोश की परिकल्पना अपने में महत्वपूर्ण है और अतीव श्रमसाध्य है। लोग अपने लिये स्वाध्याय करते हैं पर आपका यह कोश दूसरों के स्वाध्याय और शोध कार्य में पर्याप्त सहयोगी होगा। इस गौरव के लिये आप मेरी ओर से भी बधाई स्वीकार करें। ___ यों तो भूमिका और आमुख दोनों का ही ग्रन्थ में अपना-अपना महत्व है। पर मुझे अंग्ने जी भूमिका की अपेक्षा हिन्दी का आमुख अतीव सुरुचिपूर्ण लगा। उसके लिये विदुषी लेखिका को मेरी ओर से बधाई दीजिएगा। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016038
Book TitleLeshya kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year2001
Total Pages740
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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