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________________ ४९६ लेश्या-कोश ___ इस तरह के कोश ग्रन्थों का निर्माण हो जाने पर निश्चय ही जैन दर्शन के विषयों का अध्ययन करने में अव्येताओं को बहुत सुविधा हो जायगी। कोश के प्रारम्भ में भी हीराकुमारी बोथरा का एक महत्वपूर्ण आमुख है उन्होंने जिन कुछ बातों पर प्रकाश डाला है वह ध्यान देने योग्य है । हम सम्पादकों के इस प्रयत्न का अभिनन्दन करते हैं । ४ "सम्यग् दर्शन," सैलाना-दिनांक ५ जनवरी १९६६ के अंक में जैन वाङ्गमय में लेश्या का सविस्तर वर्णन है किन्तु बिखरा हुआ। जिज्ञासु के लिये यह सब देख लेना-पा लेना बहुत कठिन था, अब इस लेश्या कोश ने यह कठिनाई दूर कर दी। अब कोई भी जिज्ञासु इस ग्रन्थ के द्वारा लेश्या विषयक पूरी जानकारी प्राप्त कर सकेगा। सम्पादक श्री बांठिया साहब और श्री चोरडिया साहब के परिश्रम ने विद्वानों, जैन दर्शन के जिज्ञासुओं, पाठकों, विवेचकों और अनुसन्धान कर्ताओं के लिये यह उत्तम साधन उपस्थित करके बहुत बड़ी सुविधा कर दी है। इस ग्रन्थ में जैनागमों, ग्रन्थों, महाभारत, पंतजल योगदर्शन, अंगुतरनिकाय आदि अनेक शास्त्रों से लेश्या विषयक सामग्री का संचयन किया और लगभग १०० अवान्तर शीर्षकों से ग्रन्थ को समृद्ध किया है। यदि इस ग्रन्थ को जिज्ञासुओं के लिये मूल्यवान उपहार कहा जाय तो भी अतियुक्ति नहीं होगी। यह ग्रन्थ अपने विषय का एकमात्र ग्रन्थ है। सभी उच्चविद्या केन्द्रों, पुस्तकालयों और दार्शनिक संस्थाओं में रखने योग्य है। सम्पादक बहोदय की रुचि और कार्य प्रशंसनीय है। आशा है वे ऐसे अन्यान्य कोश भी तैयार कर समाज के सामने उपस्थित करेंगे। ५ श्वेताम्बर जैन' आगरा-दिनांक २ जनवरी ६६ के अंक में ___ लेश्या कोश जैन विषय ग्रन्थमाला का प्रथम पुष्प है। इसका सम्पादक करने में ४६ ग्रन्थों व सूत्रों का सहारा लिया गया है। सम्पादकद्वय का परिश्रम सराहनीय है। जैन दर्शन गहन है। सब विषयों पर कोश तैयार होना बहुत कठिन है परन्तु यदि ऐसे कुछ खास विषयों के कोश तैयार हो सके तो अजैन स्कालरों को बड़ी सुविधा हो जाय । __इस प्रकार का लेश्या कोश प्रथम बार ही प्रगट हुआ है । सम्पादकों ने बहुत परिश्रम करके जनता के हितार्थ यह पुस्तक लिखी और प्रकाशित की है। इसमें लेश्या शब्द के अर्थ, पर्यायवाची शब्द, परिभाषा के उपयोगी पाठ, लेश्या पर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016038
Book TitleLeshya kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year2001
Total Pages740
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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