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________________ ४८६ लेश्या-कोश प्रज्ञापना लेश्या पद १७ की भुलावण । 'EE ३६ सिद्धान्त ग्रन्थों से लेश्या सम्बन्धी पाठ'EE '३६१ देवेन्द्रसूरि विरचित कर्म ग्रन्थों से- (क) लेश्या और कर्म प्रकृतियों का बंध ओहे अट्ठारसयं आहारदुगूण आइलेसतिगे। तं तित्थोणं मिच्छे साणाइसु सव्वहिं ओहो। तेऊ नरयनवूणा, उजोयचउ नरयबार विणु सुका। विणुनरयवार पम्हा, अजिणाहारा इमा मिच्छे । -तृतीय कर्म० मा २१, २२ (ख) लेश्या और गुणस्थानतिसु दुमु सुकाइ गुणा, चउ सग तेरत्ति बंध सामित्तं । देविंदसूरिलिहियं, नेयं कम्मत्थयं सोउ। -तृतीय कर्म० गा २४ तथाहि--- लेसा तिनि पमत्तं, तेऊपम्हा उ अप्पमत्तता। सुक्का जाव सजोगी, निरुद्धलेसो अजोगि ति॥ -जिनवल्लभीय षडशीति गा० ७३ छसु सव्वा तेउतिगं, इगि छसु सुक्का अजोगि अल्लेसा। -चतुर्थ कर्म० गा ५० । पूर्वार्ध .. (ग) विभिन्न जीवों में कितनी लेश्या(१) सनिगि छलेस अपन्जबायरे पढम चउ ति सेसेसु । -चतुर्थ कर्म० गा ७ । पूर्वार्ध (२) अहखाय सुहुम केवलदुगि सुक्का छावि सेसठाणेसु । -चतुर्थ कर्म० गा ३७ । पूर्वार्ध Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016038
Book TitleLeshya kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year2001
Total Pages740
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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