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________________ लेश्या-कोश ३६७ '८८ सलेशी राशियुग्म जीव राशियुग्म संख्या चार प्रकार की होती है यथा-(१) कृतयुग्म, (२) योज, (३) द्वापरयुग्म तथा (४) कल्योज। जिस संख्या में चार का भाग देने चार बचे वह कृत युग्म संख्या कहलाती है, यदि तीन बचे तो वह योज संख्या कहलाती है, यदि दो बचे तो वह द्वापरयुग्म संख्या कहलाती है, यदि एक बचे तो वह कल्योज संख्या कहलाती है। क्षुद्रयुग्म तथा राशियुग्म की आगमीय परिभाषा समान हैं लेकिन विवेचन अलग-अलग है। अतः अन्तर अवश्य होना चाहिए। क्षुद्रयुग्म में केवल नारकी जीवों का विवेचन है। राशियुग्म में दण्डक के सभी जीवों का विवेचन है। यहाँ पर राशियुग्म जीवों का निम्मलिखित १३ बोलों से विवेचन किया गया है। विस्तृत विवेचन राशियुग्म कृतयुग्म नारकी में किया गया है। बाकी में इसकी भलावण है तथा यदि कहीं भिन्नता है तो उसका निर्देशन है। १–कहाँ से उपपात, २-एक समय में कितने का उपपात, ३–सान्तर या निरन्तर उपपात, ४-एक ही समय में भिन्न-भिन्न युग्मों की अवस्थिति, ५किस प्रकार से उपपात, ६-उपपात की गति की शीघ्रता, ७-परभव-आयुष के बंध का कारण, ८-परभवगति का कारण, 8-आत्म या परऋद्धि से उपपात, १०-आत्मकर्म या परकर्म से उपपात, ११--आत्म-प्रयोग या पर-प्रयोग से उपपात, १२-आत्मयश या आत्म-अयश से उपपात, १३-आत्मयश या आत्मअयश से उपजीवन, आत्मयश या आत्म-अयश से उपजीवित जीव सलेशी या अलेशी, यदि सलेशी या अलेशी है तो सक्रिय या अक्रिय, यदि सक्रिय या अक्रिय है तो उसी भव में सिद्ध होता है या नहीं। हमने यहाँ सिर्फ लेश्या सम्बन्धी पाठों का संकलन किया है। (रासीजुम्मकडजुम्मनेरइया णं भंते ! ) जइ आयअजसं उवजीवंति किं सलेस्सा अलेस्सा ? गोयमा ! सलेस्सा, नो अलेस्सा । जइ सलेस्सा किं सकिरिया अकिरिया ? गोयमा ! सकिरिया, नो अकिरिया । जइ सकिरिया तेणेव भवग्गहणेणं सिझंति, जाव अंतं करेंति ? नो इण? समह । (प्र ११, १२, १३ ) रासीजुम्मकडजुम्मअसुरकुमारा णं भंते ! कओ उववज्जंति ? जहेव नेरइया तहेव निरवसेसं । एवं जाव पंचिंदियतिरिक्खजोणिया। For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.016038
Book TitleLeshya kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year2001
Total Pages740
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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