SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 497
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ लेश्या-कोश ३३५ भी कहनी चाहिए। इसी प्रकार यावत् वैमानिक देव तक जानना चाहिए लेकिन जिसके जो सम्भव हो वह कहना चाहिए। इस लक्षण से जो क्रियावादी, शुक्लपक्षी, सम्यगमिथ्यादृष्टि होते हैं वे भवसिद्धिक होते हैं, अभवसिद्धिक नहीं। अवशेष सब जीव भवसिद्धिक भी होते हैं, अभवसिद्धिक भी होते हैं । सलेशी परम्परोपपन्नक नारकी आदि (यावत् वैमानिक) जीवों के सम्बन्ध में जैसा औधिक उद्देशक में कहा वैसा ही तीनों दण्डकों ( क्रियावादित्वादि, आयुबंध, भव्याभव्यत्वादि ) के सम्बन्ध में निविशेष कहना चाहिए। इस प्रकार इसी क्रम से बंधक शतक ( देखो '७५ ) में उद्देशकों की जो परिपाटी कही हैं उसी परिपाटी से यहाँ अचरम उद्देशक तक जानना चाहिए । विशेषता यह है कि 'अनन्तर' शब्द घटित चार उद्देशकों में तथा 'परम्पर' घटित चार उद्देशकों में एक-सा गमक कहना चाहिए। इसी प्रकार 'चरम' तथा 'अचरम' शब्द घटित उद्देशकों के सम्बन्ध में भी कहना चाहिए लेकिन अचरम में अलेशी, केवली, अयोगी के सम्बन्ध में कुछ भी न कहना चाहिए। '८४ सलेशी जीव और समाहारादि विचार__ सलेम्सा णं भंते ! नेरइया सव्वे समाहारगा ? ओहियाणं, सलेस्साणं, सुक्कलेसाणं, एएसि णं तिण्हं एक्को गमो। कण्हलेस्साणं नीललेस्साण वि एक्को गमो नवरं वेयणाए मायिमिच्छादिट्ठीउववनगा य, अमायिसम्मदिट्ठीउववन्नगा य भाणियव्वा । मणुस्सा किरियासु सरागवीयराग-पमत्तापमत्ता ण भाणियव्वा । काउलेस्साण वि एसेव गमो। नवरं नेरइए जहा ओहिए दंडए तहा भाणियव्वा, तेउलेस्सा, पम्हलेस्साणस्स जस्स अस्थि जहा ओहिओ दंडओ तहा भाणियव्वा। नवरं मणुस्सा सरागा य वीयराग न भाणियव्वा । गाहा-दुक्खाउए उदिन्ने आहारे कम्मवण्ण लेस्सा य । समवेयण समकिरिया समाउए चेव बोधव्वा । -भग० श १ । उ २ । सू १०१ -पण्ण० प १७ । उ २ । सू ६ से ११ प्रश्न- क्या लेश्यावाले समस्त नारकी समान आहारवाले होते हैं ? Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016038
Book TitleLeshya kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year2001
Total Pages740
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy