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________________ लेश्या-कोश ३२९ याउयं पकरेइ ( रेति० ) पुच्छा ? गोयमा ! नो नेरइयाउयं पकरेइ, नो तिरिक्खजोणियाउयं पकरेइ, मणुस्साउयं पकरेइ, देवाउयं वि पकरेइ। जइ देवाउयं पकरेइ-तहेव । तेऊलेस्सा णं भंते ! जीवा अकिरियावाई किं नेरइयाउयं ० पुच्छा ? गोयमा! नो नेरइयाउयं पकरेइ, मणुम्साउयं वि पकरेइ, तिरिक्खजोणियाउयं वि पकरेइ, देवाउयं वि पकरेइ । एवं अन्नाणियवाई वि, वेणइयवाई वि । जहा तेऊलेस्सा एवं पम्हलेस्सा वि सुक्कलेस्सा वि नायव्वा । अलेस्सा णं भंते ! जीवा किरियावाई किं नेरइयाउयं० पुच्छा ? गोयमा ! नो नेरइयाउयं पकरेइ, नो तिरिक्खजोणियाउयं पकरेइ, नो मणुस्साउयं पकरेइ, नो देवाउयं पकरेइ ( रेंति )। --भग० श ३० । उ १ । सू १० से १७ । पृ० ६०६-६०७ सलेशी क्रियावादी जीव नरकायु तथा तिर्यंचायु नहीं बाँधते हैं। वे मनुष्यायु तथा देवायु बाँधते हैं ; देवायु में भी वे सिर्फ वैमानिक देवों की आय बाँधते है। सलेशी अक्रियावादी जीव नरकायु, तिथंचायु, मनुष्यायु तथा देवायु चारों प्रकार की आयु बाँधते हैं। इसी प्रकार सलेशी अज्ञानवादी तथा सलेशी विनयवादी भी चारों प्रकार की आयु बाँधते हैं। कृष्णलेशी क्रियावादी जीव केवल मनुष्यायु बाँधते हैं । कृष्णलेशी अक्रियावादी, अज्ञानवादी तथा विनयवादी चारों प्रकार की आयु बाँधते हैं। नीललेशी तथा कापोतलेशी क्रियावादी जीव केवल मनुष्याय बाँधते हैं। नीललेशी तथा कापोतलेशी अक्रियावादी, अज्ञानवादी तथा विनयवादी जीव चारों प्रकार की आयु बाँधते हैं। तेजोलेशी क्रियावादी जीव केवल मनुष्यायु तथा देवायु बाँधते हैं। देवायु में भी वे केवल वैमानिक देवाय बाँधते हैं। तेजोलेशी अक्रियावादी जीव नरकाय नहीं बाँधते, तियंचायु, मनुष्यायु तथा देवायु बाँधते हैं। तेजोलेशी अज्ञानवादी तथा विनयवादी भी नरकायु नहीं बाँधते, तिथंचायु, मनुष्यायु तथा देवायु बाँधते हैं। तेजोलेशी चार मतवादियों के सम्बन्ध में जैसा कहा वैसा ही पद्मलेशी और शुक्ललेशी चारों मतवादियों के सम्बन्ध में कहना चाहिए। अलेशी क्रियावादी जीव चारों में से कोई आयु नहीं बाँधते हैं । अलेशी केवल क्रियावदी होते हैं। सलेस्सा णं भंते ! नेरइया किरियावाई किं नेरइयाउयं० ? एवं सव्वे वि नेरइया जे किरियावाई ते मणुस्साउयं एगं पकरेइ, जे Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016038
Book TitleLeshya kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year2001
Total Pages740
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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