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________________ लेश्या-कोश तिर्यञ्च पंचेन्द्रिय के असंख्यात लाख आवासों में एक-एक आवास में बसे हुए कृष्णलेशी, नीललेशी, कापोतलेशी, तेजोलेशी, पद्मलेशी व शुक्ललेशी तिर्यञ्च पंचेन्द्रिय में कषायोपयोग के विकल्प नहीं कहने चाहिये । २९० १७३११ सलेशी मनुष्य में कषायोपयोग के विकल्प - मस्सा वि जेहिं ठाणेहिं नेरइयाणं असीइभंगा तेहि ठाणेहिं मस्साण वि असीइभंगा भाणियव्वा, जेसु ठाणेसु सत्तावीसा तेसु अभंगयं, नवरं मणुस्साणं अब्भहियं जहन्निया ठिई ( ठिइए) आहारए य असीइभंगा । -भग० श १ । उ ५ । सू १६५ | पृ० ४०२ मनुष्य के असंख्यात लाख आवासों में एक-एक आवास में बसे हुए कृष्णलेशी, नीललेशी, कापोतलेशी, तेजोलेशी, पद्मलेशी व शुक्ललेशी मनुष्य में कषायोपयोग के विकल्प नहीं कहने चाहिये । *७३ १२ सलेशी भवनपति देव में कषायोपयोग के विकल्प - चउसट्ठीए णं भंते ! असुरकुमारावाससयसहम्सेसु एगमेगंसि असुरकुमारावासंसि असुरकुमाराणं केवइया ठिकाणा पन्नत्ता ? गोयमा ! असंखेज्जा ठिइट्ठाणा पन्नत्ता, जहण्णिया ठिई जहा नेरइया तहा, नवरं - पहिलोमा भंगा भाणियव्वा । सव्वे वि ताव होज्जा लोभोवउत्ता ; अहवा लोभोवउत्ता य, मायोवउत्ते य; अहवा लोभोवउत्ता य, मायोवउत्ताय । एएणं गमेणं ( कमेणं ) नेयव्वं जाव थणियकुमाराणं नवरं नाणत्तं जाणियव्वं । - भग० श १ । उ ५ | सू १६० । पृ० ४०१ चउसट्ठीए णं भंते! असुरकुमारावाससयसहस्सेसु एगमेगं सि असुरकुमारावासंसि असुरकुमाराणं x x x एवं लेस्सासु वि नवरं कइ लेस्साओ पन्नत्ताओ ? गोयमा ! चत्तारि, तंजहा किण्हा, नीला, काऊ, तेऊलेस्सा । चउसट्ठीए णं जाव कण्हलेस्साए घट्टमाणा किं कोहोबत्ता ? गोयमा ! सव्वे वि ताव- होज्जा लोहोवउत्ता ( इत्यादि ) एवं नीला, काऊ, तेऊ वि । st -- भग० श १ । उ ५ । सू १६० की टीका Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016038
Book TitleLeshya kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year2001
Total Pages740
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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