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________________ २८८ लेश्या-कोश मायोवउत्ता वि ? लोभोवउत्ता वि ? एवं पुढ विक्काइयाणं सव्वेसु वि ठाणेस अभंगयं, नवरं तेउलेस्साए असीइ भंगा । एवं आउक्काइया वि, तेऊक्काइयवाउक्काइयाणं सव्वेसु वि ठाणेसु अभंगयं । वणस्सइकाइबा जहा पुढविक्काइया। -भग० श १ । उ ५ । सू १६२ । पृ० ४०१ पृथ्वीकायिक के असंख्यात लाख आवासों में एक-एक आवास में बसे हुए कृष्णलेशी, नीललेशी व कापोतलेशी पृथ्वीकायिक में कषायोपयोग के विकल्प नहीं कहने चाहिए। तेजोलेशी पृथ्वीकायिक में चार कषायोपयोग के एकवचन तथा बहुवचन की अपेक्षा से क्रोधोपयोग आदि के अस्सी विकल्प नीचे लिखे अनुसार होते हैं। ४ विकल्प एकवचन के, यथा-क्रोधोपयोगवाला । ४ विकल्प बहुवचन के, यथा-क्रोधोपयोगवाले । २४ विकल्प द्विक संयोग से, यथा-एक क्रोधोपयोगवाला, एक मानोपयोगवाला। ३२ विकल्प त्रिक संयोग से, यथा-एक क्रोधोपयोगवाला, एक मानोपयोगवाला तथा एक मायोपयोगवाला । १६ विकल्प चतुष्क संयोग से, यथा-एक क्रोधोपयोगवाला, एक मानोपयोगवाला, एक मायोपयोगवाला तथा एक लोभोपयोगवाला। '७२'३ सलेशी अप्कायिक में कषायोपयोग के विकल्प___ अप्कायिक के असंख्यात लाख आवासों में एक-एक आवास में बसे हुए कृष्णलेशी, नीललेशी व कापोतलेशी अकायिक में कषायोपयोग के विकल्प नहीं कहने चाहिए। तेजोलेशी अप्कायिक में अस्सी विकल्प कहने चाहिए। ( देखो पाठ '७२.२)। '७२.४ सलेशी अग्निकायिक में कषायोपयोग के विकल्प अग्निकायिक के असंख्यात लाख आवासों में एक-एक आवास में बसे डए कृष्णलेशी, नीललेशी व कापोतलेशी अग्निकायिक में कषायोपयोग के विकल्प नहीं कहने चाहिए । ( देखो पाठ ७२.२ ) '७२.५ सलेशी वायुकायिक में कषायोपयोग के विकल्प वायकायिक के असंख्यात लाख आवासों में एक-एक आवास में बसे हुए कृष्णलेशी, नीललेशी व कापोतलेशी वायुकायिक में कषायोपयोग के विकल्प नहीं कहने चाहिए ( देखो पाठ "७२.२ )। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016038
Book TitleLeshya kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year2001
Total Pages740
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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