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________________ २७६ लेश्या-कोश लेश्या एवं तदावरणीय ( विभंग ज्ञानावरणीय कर्म ) कर्मों के क्षयोपशम से ईहाअपोह-मार्गणा और गवेषणा करते हुए विभंग अज्ञान उत्पन्न होता है। ६–इस अवसपिणी काल के उन्नीसवें तीर्थङ्कर श्री मल्लीनाथ भगवान जिस दिन दीक्षित हुए, उसी दिन उन्हें शुभलेश्या, शुभपरिणाम तथा शुभ अध्यवसाय की अवस्था में केवलज्ञान, केवलदर्शन उत्पन्न हुआ। तए णं मल्ली अरहा जं चेव दिवस पव्वइए तस्सेव दिवसस्स पच्चवरण्हकालसमयंसि असोगवरपायवस्स अहे पुढविसिलापट्टयंसि सुहासणवरगयस्स सुहेणं परिणामेणं (पसत्थेहिं अज्झवसाणेहिं ) पसत्थाहिं लेसाहिं (विसुज्झमाणीहिं ) तयावरणकम्मरयविकिरणकरं अपुव्वकरणं अणुपविट्ठस्स अणंते जाव केवलवरनाणदंसणे समुप्पन्ने । –णाया० श्रु १ अ ८ । सू २२५ अर्थात् मल्लीनाथ अरिहंत ने जिस दित दीक्षा ग्रहण की उसी दिन शुभपरिणाम, प्रशस्त अध्यवसाय, विशुद्धलेश्या से, तदावरणीय कर्मों के क्षय होने से केवलज्ञान तथा केवलदर्शन उत्पन्न हुआ। ७-जितशत्र आदि छः प्रमुख राजा मल्लीकं वरी की पूर्वनिर्मित मति को देखते हैं, ( उस मूर्ति को साक्षात् मल्लीकं वरी समझते हैं । ) देखकर उस पर रागभाव लाते हैं। मल्लीकंवरी उस निर्मित मूर्ति का ऊपरी भाग का ढक्कन खोलती है। फलस्वरूप दुर्गन्ध आने लगती है ( क्योंकि उस निर्मित मूर्ति में ढक्कन खोलकर भोजन का ग्रास प्रतिदिन डाला जाता था। कई दिन का ग्रास होने से उसमें दुर्गन्ध आने लगी । ) जितशत्रु प्रमुख उन छओं राजाओं को दुर्गन्ध सहन नहीं हुआ। फलस्वरूप नाक कपड़े से ढांक लिया। तब मल्लीकुमारी ने उन छओं राजाओं को प्रतिबोध देते हुए कहा कि इस मूति की तरह मेरा शरीर भी अशुचि का भंडार है, आप इस ऊपरी चमड़े को देखकर क्यों ललचाते हैं । आप अपने पूर्व भव को याद कीजिये कि अपने सबों ने पूर्वजन्म में एक साथ अनगार वृत्ति में रहे, विचित्र प्रकार की तपस्याएं की। मल्लीकुमारी से यह वृत्तान्त सुनकर उन छओं राजाओं को जातिस्मरण ज्ञान उत्पन्न हुआ-- तए णं तेसिं जियसत्तु पामोक्खाणं छण्हं रा ( या ) ईणं मल्लीए विदेहसयवरकन्नए अंतिए एवम सोच्चा निसम्मा सुभेणं परिणामेण Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016038
Book TitleLeshya kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year2001
Total Pages740
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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