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________________ २२२ लेश्या-कोश हिईएसु उववन्नो, एस चेव वत्तव्वया x x x -प्र० १८ । ग० २ । सो चेव उक्कोसकालट्ठिईएसु उववन्नो, एस चेव वत्तव्वया xxx -प्र० १६ । ग०३ । एए चेव तिनि गमगा, सेसा न भण्णंति x x x ) उनमें तीन गमक होते हैं तथा उन तीनों गमकों में ही एक शुक्ललेश्या होती हैं। (देखो पाठ '५८.१६ ३१ ) -भग० श २४ । उ २१ । सू १७-१६ पृ० ८४६-४७ '५८ २० वानव्यंतर देवों में उत्पन्न होने योग्य जीवों में--- .५८.२०.१ पर्याप्त असंज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यच योनि के जीवों से वानव्यन्तर देवों में उत्पन्न होने योग्य जीवों मेंगमक-१-६ पर्याप्त असंज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यञ्च योनि के जीवों से वानव्यंतर देवों में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( वाणमंतरा णं भंते ! x x x एवं जहेव णागकुमारउहेसए असन्नी तहेव निरवसेसं x x x ) उनमें नौ गमकों में ही तीन लेश्या होती है । ( देखो पाठ ५८ ६.१) -भग० श २४ । उ २२ । सू१ । पृ० ८४७ .५८ २० २ असंख्यात वर्ष की आयुवाले संशी पंचेन्द्रिय तिर्य च योनि के जीवों से वानव्यंतर देवों में उत्पन्न होने योग्य जीवों मेंगमक–१-६ असंख्यात वर्ष की आयुवाले संज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्य च योनि के जीवों से वानव्यंतर देवों में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( असंखेजवासाउय ) सन्निपंचिंदिय० जे भविए वाणमंतरेसु उववज्जित्तए xxx सेसं तं चेव जहा नागकुमारउद्देसए xxx -प्र२। ग० १ । सो चेव जहन्नकालट्ठिइएसु उववन्नो, जहेव णागकुमाराणं बिइयगमे वत्तव्वया -प्र२। ग०२। सो चेव उक्कोसकालट्टिइएसु उववन्नो xxx एस चेव वत्तव्वया x x x प्र४ । ग०३ । मज्झिमगमगा तिन्नि वि जहेव नागकुमारेसु पच्छिमेसु तिसु गमएसु तं चेव जहा नागकुमारदेसए xxx -प्र४ । ग० ४-६ ) उनमें नौ गमकों में ही चार लेश्या होती हैं। ( देखो पाठ '५८.६२) -भग० श २४ । उ २२ सू २-४ । पृ० ८४७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016038
Book TitleLeshya kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year2001
Total Pages740
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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