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________________ २०८ लेश्या-कोश भंते !० अवसेसं जहेव पुढविक्काइएसु उववज्जमाणस्स असन्निस्स तहेव निरवसेसं, जाव-भवाएसो'त्ति x x x ग० १। xxx बिइयगमए एस चेव लद्धी-प्र० १५ । ग०२ । सो चेव उक्कोसकालट्ठिइएसु उववन्नो x x x ते णं भंते ! जीवा० ? एव जहा रयणप्पभाए उववज्जमाणस्स असन्निस्स तहेव निरवसेसं जाव-'कालादेसो'त्ति xxx सेसं तं चेव-प्र० १६ । ग०३। सो चेव अप्पणा जहन्नकालट्ठिईओ जाओ x x x ते णं भंते !-अवसेसं जहा एयस्स पुढविक्काइएसु उववज्जमाणस्स मज्झिमेसु तिसु गमएसु तहा इह वि मज्झिमेसु तिसु गमएसु जाव-'अणुबंधो'त्ति-प्रश्न १७ । ग०४ । सो चेव जहन्नकालट्ठिइएसु उववन्नो एस चेव वत्तव्वया x x x -प्र १८। ग०५। सो चेव उक्कोसकालट्ठिएसु उववन्नो x x x एस चेव वत्तव्वया-प्र १६ । ग० ६ । सो चेव अप्पणा उक्कोसकाल ट्ठिईओ जाओ सच्चेव पढमगमगवत्तव्वया x x x - २० । ग०७ । सो चेव जहन्नकालट्ठिईएमु उववन्नो, एस चेव वत्तव्वया जहा सत्तमगमए xxx-प्र २१ । ग०८। सो चेव उक्कोसकालट्ठिएसु उववन्नो, xxx एवं जहा रयणप्पभाए उववज्जमाणस्स असन्निस्स नवमगमए तहेव निरवसेसं जाव-'कालादेसो' त्ति x x x सेसं तं चेव-प्र २२ । ग०६) उनमें नौ गमकों में ही तीन लेश्या होती है । ( देखो ग० १, २, ४, ५, ६, ७, ८, के लिए .५८ १०.६ तथा ग० ३ व ६ के लिए "५८ १.१ )। .............. -भग० श २४ । उ २० । सू १४-२२ । पृ० ८४०-४१ .५८ १८.१७ संख्यात वर्ष की आयु वाले संजी पंचेन्द्रिय तिर्य च योनि से पंचेन्द्रिय तिर्यञ्च योनि में उत्पन्न होने योग्य जीवों में गनक-१-६ संख्यात वर्ष की आयुवाले संज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यञ्च योनि से पंचेन्द्रिय तिर्यच योनि में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( संखेज्जवासाउयसन्निपंचिंदियतिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए पंचिंदियतिरिक्खजोणिएसु उववजित्तए x x x ते णं भंते ! x x x ? अवसेसं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016038
Book TitleLeshya kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year2001
Total Pages740
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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