SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 363
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ लेश्या-कोश २०१ क्काइएसु उक्वज्जित्तए x x x एवं जहा जोइसियस्स गमगो। xxx एवं सेसा वि अट्ठ गमगा भाणियव्वा ) उनमें नौ गमकों में ही एक तेजोलेश्या होती है । -भग० श २४ । उ १२ । सू ५५ । पृ० ८३६ '५८.१०.१८ ईशान कल्पोपपन्न वैमानिक देवों से पृथ्वीकायिक जीवों में उत्पन्न होने योग्य जीवों में गमक-१-६ ईशान कल्पोपपन्न वैमानिक देवों से पृथ्वीकायिक जीवों में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( ईसाणदेवे | भंते ! जे भविए० x x x ? एवं ईसाणदेवेण वि णव गमगा भाणियव्वा x x x सेसं तं चेव ) उनमें नौ गमकों में ही एक तेजोलेश्या होती है। -भग० श २४ । उ १२ । सू ५५ पृ० ८३६ .५८.११ अप्कायिक जीवों में उत्पन्न होने योग्य जीवों में.५८ ११.१ से १८ स्व-पर योनि से अप्कायिक जीवों में उत्पन्न होने योग्य जीवों में गमक–१-६ स्व-पर योनि से अप्कायिक जीवों में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( आउक्काइया णं भंते ! कओहिंतो उववज्जति ? एवं जहेव पुढविक्काइयउद्देसए, जाव-xxx पुढविक्काइए णं भंते ! जे भविए आउक्काइएसु उववज्जित्तए x x x एवं पुढविक्काइयउद्देसगसरिसो भाणियव्वो x x x सेसं तहेव ) उनके सम्बन्ध में लेश्या की अपेक्षा से पृथ्वीकायिक उद्देशक ( ५८ १० १-१८ ) में जैसा कहा वैसा ही कहना।.. -भग० श २४ । उ १३ । सू १ । पृ० ८३७ .५८.१२ अग्निकायिक जीवों में उत्पन्न होने योग्य जीवों में५.८.१२.१..१२ स्व-पर योनि से अग्निकायिक जीवों में उत्पन्न होने योग्य जीवों मेंगमक-१-६ स्व-पर योनि से अग्निकायिक जीवों में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( तेउक्काइया णं भंते ! कओहिंतो उववज्जति ? एवं जहेव Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016038
Book TitleLeshya kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year2001
Total Pages740
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy