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________________ १९८ लेश्या-कोश ५८ १०८ चतुरिन्द्रिय से पृथ्वीकायिक जीवों में उत्पन्न होने योग्य जीवों में गमक - १-६ चतुरिन्द्रिय से पृथ्वीकायिक जीवों में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( जइ चउरिदिएहिंतो उववज्जं ति० एवं चैव चउरिंदियाण वि नव गमगा भाणियव्वा xxx ) उनमें नौ गमकों में ही तीन लेश्या होती हैं ( देखो ५८ १०६ ) । - भग० श २४ । उ १२ । सू २७ । पृ० ८३३ ५८१०९ असंज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यञ्च योनि से पृथ्वीकायिक जीवों में उत्पन्न होने योग्य जीवों में गमक- -१-६ असंज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यञ्च योनि से पृथ्वीकायिक जीवों में उत्पन्त होने योग्य जो जीव हैं ( असन्निपंचिदियतिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भवि पुढविकाइएस उववज्जित्तए x x x ते णं भंते ! जीवा० एवं जहेव बेइ दियस्स ओहियगमए लद्धी तहेव xxx सेसं तं चेव ) उनमें नौ गमकों में ही तीन लेश्या होती हैं । - ---- - भग० श २४ । उ १२ । सू ३० । पृ० ८३३ *५८·१० १० संख्यात वर्ष की आयुवाले संज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यञ्च योनि से पृथ्वीकायिक जीवों में उत्पन्न होने योग्य जीवों में गमक - १-६ संख्यात वर्ष की आयुवाले संज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यच योनि से पृथ्वीकायिक जीवों में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( जइ संखेज्जवासाज्य (सन्निपंचिदियतिरिक्खजोणिए ० ) x x x ते णं भंते ! जीवा० x x x एवं जहा रयणप्पभाए उववज्जमाणस्स सन्निम्स तहेव इह वि xxx लद्धी से दिल्लएसु तिसु वि गमएस एस चेव । मज्झिल्लएसु तिसु वि गमएस एस चे । नवरं x x x तिन्नि लेस्साओ । x x x पच्छिल्लएसु तिसु वि गमएस जहेव पढमगमए XXX उनमें प्रथम के तीन गमकों में छः लेश्या, मध्यम के तीन गमकों में तीन लेश्या तथा शेष के तीन गमकों में छ लेश्या होती हैं ( देखो ५८·१°२ ) । - भग० श २४ । उ १२ । सू ३३, ३४ । पृ० ८३४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016038
Book TitleLeshya kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year2001
Total Pages740
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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