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________________ लेश्या - कोश १९१ जे भविए असुरकुमारेसु उववज्जिन्त्तए x x x ते णं भंते ! जीवा० ? एवं रयणप्पभागमगसरिसा णव वि गमा भाणियव्वा x x x अवसेसं तं चैव ) उनमें नव गमकों ही में आदि की तीन लेश्या होती हैं ( *५८·१·१ ग० १-६ ) । — भग० श २४ । उ २ । सू २, ३ । पृ० ८२५ ५८८२ असंख्यात वर्ष की आयुवाले संज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यच योनि से असुरकुमार देवों में उत्पन्न होने योग्य जीवों में— ग० - गमक-१-६ असंख्यात वर्ष की आयुवाले संज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यच योनि से असुरकुमार देवों में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( असंखेज्जवासाज्यसन्निपंचिदियतिरिक्खजोणिए णं भंते! जे भविए असुरकुमारेसु उववजित्तए x x x ते णं भंते ! जीवा - पुच्छा । XXX चत्तारि लेस्सा आदिल्लाओ x x x | ग०१ । सो चेव जहनकालट्ठिईएस उववन्नोएस चैव वत्तव्वया × × × । ग० २ । सो चेव उक्कोसकालट्ठिएस उववन्नो x x x - एस चैव वत्तव्वया x x x सेसं तं चेव । ३ । सो चेव अपणा जहन्नकालट्ठिईओ जाओ x x x ते णं भंते ! अवसेसं तं चेव जाव—- 'भवादेसो ति xxx ग०४ । सो चेव जहन्नकालट्टिईएस उववन्नो - एस चेव वत्तव्वया xxx । ग०५ । सो चेव उक्कोसका लट्ठिईएस उवबन्नो xxx सेसं तं चैव x x x | ग० ६ । सो चेव अपणा उक्कोसकालट्ठिईओ जाओ, सो चेव पढम गमगो भाणियव्वो × × × । ग० ७ । सो चेव जहन्नकालट्ठिईएस उववन्नो, एस चैव वत्तब्वया x x x । ग०८ । सो चेव उक्कोसका लट्ठिएस उववन्नो, एस चैव वत्तव्वया × × × । ग०६ ) उनमें नौ गमकों ही में आदि की चार लेश्या होती है । 1 । -- भग० श २४ । उ २ । सु ५-१५ । पृ० ८२५-२७ '५८'८'६ पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयुवाले संज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यच योनि से असुरकुमार देवों में उत्पन्न होने योग्य जीवों में— गमक - १ - ९ पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयुवाले संज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यच योनि से असुरकुमार देवों में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( पज्जत संखेज्जवासाज्य Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016038
Book TitleLeshya kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year2001
Total Pages740
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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