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________________ लेश्या-कोश १६३ - द्वीपकुमार में चार लेश्या होती हैं — यथा— कृष्ण, नील, कापोत, तेजो । इसी प्रकार नागकुमार यावत् स्तनितकुमार देव में चार लेश्या होती है । (व्य ) ( चउट्ठए णं भंते! असुरकुमारावाससयसहस्से एगमेगंसि असुरकुमारावासंसि ) एवं लेसासु वि, नवरं कइ लेम्साओ पन्नत्ताओ ? गोयमा ! चत्तारि, तं जहा - कण्हा, नीला, काऊ, तेऊलेस्सा | —भग श १ ड ५ । सू १६० की टीक्का असुरकुमारों सम्बन्धी अलग पाठ टीका ही में मिला है । असुरकुमार चार लेश्या होती है । २३ वाणव्यंतर देव में (क) वाणमंतरदेवाणं पुच्छा । गोयमा ! एवं चेव । - पण ० प १७ | उ २ । सू १३ । पृ० ४३८ (ख) वाणमंतराणं सव्वेसिं जहा असूरकुमाराणं । - ठाण० स्था ४ । उ ३ । सू ३७० | पृ० ६४० (ग) भवणवइ - वाणमंतरपुढबि आउणरसइकाइयाणं चत्तारि लेस्साओ । - ठाण० स्था १ । सू २०० । पृ० ४६६ (घ) वाणमंतराणं xxx एवं जहा सोलसमसए दीवकुमारूहे सए । वाणव्यंतर देव में चार लेश्या होती है तीन संक्लिष्ट लेश्या होती है । Jain Education International - भग० श १६ । उ १० । पृ० ८०५ (ङ) वाणमंतरा णं जहा असुरकुमाराणं । - ठाण० स्था ३ । १ । सु ६७ । पृ० ५४६ वाणव्यंतर देव में तीन संक्लिष्ट लेश्या होती है । *२३१ वाणव्यंतर देवी में एवं वाणमंतरण वि । -- पण ० प १७ | उ २ । स १३ । पृ० ४३८ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016038
Book TitleLeshya kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year2001
Total Pages740
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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