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________________ लेश्या-कोश १५९ (ख) महाविदेह क्षेत्र ( कर्मभूमिज ) के मनुष्य में पुव्वविदेहे अवरविदेहे कम्मभूमयमणुस्साणं कइ लेस्साओ पन्नत्ताओ, गोयमा! छल्लेस्साओ, तं जहा–कण्हा जाव सुक्का । एवं मणुस्सीणवि। –पण्ण० प १७ । उ ६ । सू १ । पृ० ४५१ पूर्व और पश्चिम महाविदेह के कर्मभूमिज मनुष्य में छः लेश्या होती है। इसी प्रकार मनुष्यणी ( स्त्री ) में भी छः लेश्या होती है । २०.६ अकर्मभूमिज मनुष्य तथा मनुष्यणी में अकम्मभूमयमणुस्साणं पुच्छा। गोयमा! चत्तारि लेस्साओ पन्नत्ताओ, तं जहा-कण्हा जाव तेउलेस्सा। एवं अकम्मभूमयमणुस्सीणवि। -पण्ण० प १७ । उ ६ । सू १ । पृ० ४५१ अकर्मभूमिज मनुष्य में चार लेश्या होती है। इसी प्रकार मनुष्यणी ( स्त्री ) में भी चार लेश्या होती है। २०७ अकर्मभूमिज मनुष्य और मनुष्यणी के विभिन्न भेदों में (क) हेमवय-हैरण्यवय अकर्ममूमिज मनुष्य में एवं हेमवयएरनवयअकम्मभूमयमणुस्साणं मणुस्सीण य कइ लेस्साओ पन्नत्ताओ ? गोयमा ! चत्तारि, तं जहा–कहा जाव तेऊलेस्सा। -पण्ण० १७ । उ ६ । सू १ । पृ० ४५१ हैमवय-हैरण्यवय अकर्मभूमिज मनुष्य तथा मनुष्यणी में चार लेश्या होती है। (ख) हरिवास-रम्यकवास अकर्मभूनिज मनुष्य में हरिवासरम्मयअकम्मभूमयमणुस्सा मणुस्सीण य पुच्छा। गोयमा ! चत्तारि, तं जहा-कण्हा जाव तेऊलेस्सा। -पण्ण० प १७ । उ ६ । सू१ । पृ० ४५१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016038
Book TitleLeshya kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year2001
Total Pages740
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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