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________________ १५६ लेश्या-कोश (क) गम्भवक्कंतियपंचेंदियतिरिक्खजोणिया xx थलयरा xx चउप्पया x x जहा जलयराणं । -जीवा० प्रति १ । सू ३८ । पृ० ११६ चतुष्पाद म्थलचर गर्भज तिर्यच पंचेन्द्रिय में ६ लेश्या होती है। उरपरिसर्प स्थलचर गर्भज तिर्यच पंचेन्द्रिय में (ख) गब्भवक्कन्तियपंचेंदियतिरिक्खजोणिया x x थलयरा xx परिसप्पा x x उरपरिसप्पा-जहा जलयराणं । -जीवा० प्रति १ । सू ३८ । पृ. ११६ उरपरिसर्प स्थलचर गर्भज तिर्यच पंचेन्द्रिय में छः लेश्या होती है । भुजपरिसर्प स्थलचर गर्भज तिर्य च पंचेन्द्रिय में (ग) गम्भवक्कंतियपंचेंदियतिरिक्खजोणिया x x थलयराxx परिसप्पा xx भुयपरिसप्पा-जहा उरपरिसप्पा । -जीवा० प्रति १ । सू ३८ । पृ० ११६ भुजपरिसर्प स्थलचर गर्भज तिर्य च पंचेन्द्रिय में छः लेश्या होती है । .१६.१० खेचर ( नभचर ) गर्भज तिर्यच पंचेन्द्रिय में गब्भवक्कंतिय-पंचेंदियतिरिक्खजोणिया x x x खहयरा-जहा जलयराणं। -जीवा० प्रति १ । सू ३८ । पृ० ११६ खेचर ( नभचर ) गर्भज तिर्य च पंचेन्द्रिय में छः लेश्या होती है। '२० मनुष्य में (क) मणूस्सा णं पुच्छा । गोयमा ! छल्लेस्सा एयाओ चेव । -पण्ण० प १७ । उ २ । सू १३ । पृ० ४३८ (ख) मणुस्साणं भंते ! कइ लेस्साओ पन्नत्ताओ ? गोयमा! छ लेस्साओ पनत्ताओ ? तं जहा-कण्हलेस्सा जाव सुक्कलेस्सा। -पण्ण प १७ । उ ६ । सू १ । पृ० ४५१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016038
Book TitleLeshya kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year2001
Total Pages740
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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