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________________ १५३ लेश्या-कोश तिर्यञ्च पंचेन्द्रिय के छः लेश्या होती है, यथा-कृष्णलेश्या यावत् शुक्ललेश्या । संक्लिष्टलेश्या तीन होती है (घ) पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं तओ लेस्साओ संकिलिट्ठाओ पन्नत्ताओ, तं जहा कण्हलेस्सा, नीललेम्सा, काऊलेस्सा। -ठाण० स्था ३ । उ १ । सू १८१ । पृ० २०५ तिर्यञ्च पंचेन्द्रिय में तीन संक्लिष्ट लेश्या होती है—यथा-कृष्ण, नील, कापोत । असं क्लिष्ट लेश्या तीन होती है (ङ) पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं तओ लेस्साओ असंकिलिट्ठाओ पन्नत्ताओ, तं जहा-तेऊस्सा, पम्हलेस्सा, सुक्कलेस्सा। -ठाण० स्था ३ । उ १ । सू १८१ । पृ० २०५ तिर्यश्च पंचेन्द्रिय में तीन असं क्लिष्ट लेश्या होती है यथा-तेजोलेश्या; पद्मलेश्या; शुक्ललेश्या । १६.१ तिर्यञ्च पंचेन्द्रिय के विभिन्न भेदों में (क) (खहयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं) एएसि णं भंते ! जीवाणं कइ लेस्साओ पन्नत्ताओ ? गोयमा ! छल्लेसाओ पन्नत्ताओ, तं जहाकण्हलेस्सा जाव सुक्कलेस्सा। (ख) (भुयपरिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं) एवं जहा खहयराणं तहेव । (ग) ( उरपरिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं ) जहेव भुयपरिसप्पाणं तहेव । (घ) (चउप्पयथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं) जहा पक्खीणं । (ङ) (जलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं) जहा भुयपरिसप्पाणं । -जीवा० प्रति ३ । उ १ । सू १७ । पृ० १४७-४८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016038
Book TitleLeshya kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year2001
Total Pages740
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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