SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 312
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १५० लेश्या-कोश वागुलीया, पाववल्ली, देवदाली, अप्फोया, अतिमुक्त, नागलता, कृष्णा, सूरवल्ली, संघट्टा, सुमणसा, जासुवण, कुविंदवल्ली, मुद्दिया, द्राक्षना वेला, अम्बावल्ली, क्षीरविदारिका, जयन्ती, गोपाली, पाणी, मासावल्ली, गुजावल्ली, बच्छाणी, शशबिन्दु, गोत्तफुसिया, गिरिकणिका, मालुका, अञ्जनकी ) दधिपुष्पिका, काकलि, सोकलि, अर्कबोदी-इनके मूल, कंद, स्कन्ध, त्वचा (छाल ), शाखा में तीन लेश्या तथा २६ विकल्प होते हैं। अवशेष-प्रवाल, पत्र, पुष्प, फल बीज में चार लेश्या तथा अस्सी विकल्प होते हैं। ___ अंक १५६ से १५.२३ तक में वर्णित वनस्पतियाँ-प्रत्येक वनस्पतिकाय हैं। १५.२४ आलुक आदि साधारण वनस्पतिकाय में रायगिहे जाव एवं वयासी-अह भंते ! आलुयमूलगसिंगबेरहालिहरुक्खकंडरिय - जारुच्छीरबिरालिकिढिकुंदुकण्हकडउमहुपुयलइमहुसिंगिणिरुहासप्पसुगंधाछिण्ण रुहबीयरुहाणं एएसि णं जे जीवा मूलत्ताए वक्कमति एवं एत्थ वि मूलादीया दस उद्देसगा कायव्वा वंसवग्गसरिसा। -भग० श २३ । व १ । पृ० ८४२ आलुक, मूला, आदु, हलदी, रुरु, कण्डरिक, जीरं, क्षीरविराली, किट्ठी, कुन्दु, कृष्ण, कडसु, मधु, पयलइ, मधुसिंगी, निरुहा, सर्पसुगन्धा, छिन्नरुहा, वीजरुहा-इनके मूल यावत् वीज में तीन लेश्या तथा २६ विकल्प होते हैं। १५.२५ लोही आदि वनस्पतिकाय में ___ अह भंते! लोहीणीहूथीहूथिभगाअस्सकण्णीसीहकण्णीसीउढीमुसुंढीणं एएसि णं जे जीवा मूलत्ताए वक्कमति एवं एत्थ वि दस उहेसगा जहेव आलुयवग्गो। -भग० श २३ । व २ । पृ० ८४२ लोही, नीहू, थीहू, थिभगा, अश्वकर्णी, सिंहकर्णी, सीढी, मुसुढी-इनके मूल यावत् बीज में तीन लेश्या तथा २६ विकल्प होते हैं । १५.२६ आय आदि वनस्पतिकाय में __अह भंते ! आयकायकुहुणकुंदुरुक्कउव्वेह लियासफासज्जाछत्तासा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016038
Book TitleLeshya kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year2001
Total Pages740
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy