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________________ लेश्या-कोश १३१ (ग) दुविहा सव्वजीवा पन्नत्ता, तं जहा x x x एवं एसा गाहा फासेयत्वा जाव ससरीरी चेव असरीरी चेव। (सलेसा व अलेसा चेव)। सिद्धसई दिकाए, जोगे वेए कसाय लेसा य । णाणुवओगाहारे, भासग चरिमे य ससरीरी ।। -ठाण० स्था २ । उ ४ । सू ४१० । पृ० ५३५ सर्वजीवों के दो भेद—सलेशी जीव, अलेशी जीव । '५१.२ जीवों के सात भेद (क) अहवा सत्तविहा सव्वजीवा पन्नत्ता, तं जहा–कण्हलेस्सा, नीललेस्सा, काउलेस्सा, तेउलेस्सा, पम्हलेस्सा, सुक्कलेस्सा, अलेस्सा xxx सेत्तं सत्तविहा सव्वजीवा पन्नत्ता । -जीवा० प्रति ह । सर्व जीव । सू २६६ । पृ० २५८ (ख) अहवा सत्तविहा सव्वजीवा पन्नत्ता, तं जहा-कण्हलेस्सा जाव सुक्कलेस्सा, अलेस्सा। -ठाण. स्था ७ । सू ७३ । पृ० ७४६ सर्व जीवों के सात भेद हैं--कृष्णलेशी, नीललेशी, कापोतलेशी, तेजोलेशी, पद्मलेशी, शुक्ललेशी, अलेशी जीव । '५२ लेश्या की अपेक्षा जोव की वर्गणा (१) एगा कण्हलेस्साणं वग्गणा, एगा णीललेस्साणं वग्गणा, एवं जाव सुक्कलेस्साणं वग्गणा । कृष्णलेशी जीवों की एक वर्गणा है इसी प्रकार नील, कापोत तेजो, पद्म तथा शुक्ललेश्या जीवों की एक-एक वर्गणाए हैं । (२) एगा कण्हलेस्साणं नेरइयाणं वग्गणा, जाव काऊलेस्साणं नेरइयाणं वग्गणा, एवं जस्स जइ लेस्साओ, भवणवइवाणमंतरपुढविआउणस्सइकाइयाणं च चत्तारि लेस्साओ तेऊवाउबेइदियतेइ दिय Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016038
Book TitleLeshya kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year2001
Total Pages740
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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