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________________ लेश्या - कोश ११७ द्रव्यार्थ प्रदेशार्थ - सबसे कम जघन्य कापोतसेश्या के द्रव्यार्थ स्थान, नीललेश्या जधन्य द्रव्यार्थ स्थान असंख्यात गुण, तथा क्रमशः इसी प्रकार कृष्ण, तेजो, पद्म और शुक्ललेश्या द्रव्यार्थ जघन्य स्थान असंख्यात गुण । जघन्य शुक्ललेश्या द्रव्यार्थ स्थानों से उत्कृष्ट कापोतलेश्या द्रव्यार्थ स्थान असंख्यात गुण, उत्कृष्ट नीलेश्या द्रव्यार्थ स्थान असंख्यात गुण, और इसी प्रकार क्रमशः कृष्ण, तेजो, पद्म और शुक्ललेश्या उत्कृष्ट द्रव्यार्थ स्थान असंख्यात गुण । शुक्ललेश्या उत्कृष्ट द्रव्यार्थ स्थान से जघन्य कापोतलेश्या प्रदेशार्थ स्थान अनन्तगुण है । जघन्य कापोतलेश्या प्रदेशार्थ स्थान से जघन्य नीललेश्या प्रदेशार्थ स्थान असंख्यात गुण है, तथा इसी प्रकार कृष्ण, तेजो, पद्म और शुक्ललेश्या जघन्य प्रदेशार्थ स्थान असख्यात गुण हैं; जघन्य शुक्ललेश्या प्रदेशार्थ स्थान से उत्कृष्ट कापोतलेश्या प्रदेशार्थ स्थान असंख्यात गुण, उससे नीललेश्या उत्कृष्ट प्रदेशार्थ स्थान असंख्यात गुण है और इसी प्रकार कृष्ण, तेजो, पद्म और शुक्ललेश्या उत्कृष्ट प्रदेशार्थ स्थान असंख्यात गुण है । - ०३ द्रव्यलेश्या (विस्रसा अजीव नोकर्म ) * ३११ द्रव्यलेश्या नोकर्म के भेद १ दो भेद - नोकम्मदव्वलेसा पओगसा विससा उ नायव्वा । - उत्त० अ ३४ । नि० गा ५४२ । पूर्वार्ध नोकर्म द्रव्यश्या के दो भेद - प्रायोगिक तथा विस्रसा । - २ अजीव नोकर्म द्रव्यलेश्या के दस भेद अजीव कम्म नो दव्वलेसा; सा दसविहा उ नायव्वा । चन्दाण य सूराण य गहगणनक्खत्तताराणं ॥ आभरणच्छायाणा- सगाण, मणि कागिणीण जा लेसा । अजीव दव्व-लेसा, नायव्वा दसविहा एसा ॥ Jain Education International - उत्त० अ ३४ । नि० गा ५३७-३८ अजीव नोकर्म द्रव्यलेश्या के दस भेद, यथा - चन्द्रमा की लेश्या, सूर्य की, ग्रह की, नक्षत्र की, तारागण की लेश्या, आभरण की लेश्या, छाया की लेश्या, दर्पण की लेश्या, मणि की तथा कांकणी की लेश्या । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016038
Book TitleLeshya kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year2001
Total Pages740
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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