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________________ लेश्या-कोश ११५ द्रव्यार्थ प्रदेशार्थ रूप में - जघन्य कापोतलेश्या स्थान द्रव्य रूप से सबसे कम है, जघन्य नीललेश्या स्थान द्रव्य रूप से उससे असंख्यातगुण है । इसी प्रकार कृष्णलेश्या, तेजोलेश्या और पद्मलेश्या के विषय में जानना चाहिए । जघन्य शुक्ललेश्या स्थान द्रव्य रूप से असंख्यातगुण है । जघन्य द्रव्यार्थ शुक्ललेश्या स्थान से जघन्य कापोतलेश्या प्रदेशार्थ स्थान असंख्यातगुण है, उससे जघन्य नीललेश्या प्रदेशार्थ स्थान असंख्यातगुण है, इसी प्रकार यावत् शुक्ललेश्या तक जानना । ‘२६‘२ उत्कृष्ट स्थानों में द्रव्यार्थ प्रदेशार्थ, द्रव्य - प्रदेशार्थ अल्पबहुत्व एएसि णं भंते! कण्हलेस्साठाणाणं जाव सुकलेस्साठाणाण य उक्कोसगाणं दव्वट्टयाए एएसझ्याए दन्वट्ठपएसझ्याए कयरे कयरेर्हितो अप्पा वा ( जाव विसेसाहिया वा ) ? गोयमा ! सव्वत्थोवा उक्कोसगा काऊलेस्साठाणा दव्वट्टयाए, उक्कोसगा नीललेस्साठाणा दव्वझ्याए असंखेज्जगुणा, एवं जहेव जहन्नगा तव उक्कोसगाव, नवरं उक्कोसत्ति अभिलावो । " -- पण ० प १७ । उ ४ । सु १२४८ | पृ० २६६ जिस प्रकार जघन्य लेश्या स्थानों का कहा उसी प्रकार उत्कृष्ट लेश्या स्थानों का द्रव्यार्थ प्रदेशार्थ, द्रव्यप्रदेशार्थ तीन प्रकार से कहना । 3 *२६·३ जघन्य उत्कृष्ट उभय स्थानों में द्रव्यार्थ प्रदेशार्थ तथा द्रव्यप्रदेशार्थ अल्पबहुत्व 1 एएसिणं भंते! कण्हलेस्साठाणाणं जाव सुक्कलेस्साठाणाण व जहन्नउक्कोसगाणं दव्वट्ट्याए पएस ट्ट्याए दव्वपएस ट्ठयाए कयरे करेहिंतो अप्पा वा ( जाव विसेसाहिया वा ) ? Jain Education International गोयमा ! सव्वत्थोवा जहन्नगा काउलेस्साठाणा दव्वट्टयाए, जहन्नगा नीललेस्साठाणा दव्वट्ट्याए असंखेज्जगुणा, एवं कण्हतेऊपन्हलेस्साठाणा, जहन्नगा सुकलेस्साठाणा दव्वट्टयाए असंखेज्जगुणा, जहन्नएहिंतो सुक्कलेस्साठाणेहिंतो दव्वट्टयाए उक्कोसा काऊलेस्साठाणा दव्वठयाए असंखेज्जगुणा, उक्कोसा नीललेस्साठाणा दव्वट्टयाए असंखेज्जगुणा, एवं कण्हतेऊपम्हलेस्साठाणा, उक्कोसा संक्कलेस्साठाणा दव्वट्ट्ठयाए असंखेज्जगुणा । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016038
Book TitleLeshya kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year2001
Total Pages740
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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