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________________ ८० लेश्या-कोश इ वा सुए इ वा सुयपिच्छे इ वा वणराई इ वा उच्चंतए इ वा पारेवयगीवा इ वा मोरगीवा इ वा हलहरवसणे इ वा अय सिकुसुमे इ या वणकुसुमे इ वा अंजणकेसियाकुसुमे इ वा नीलुप्पले इ वा नीलाऽसोए इ वा नीलकणवीरए इ वा नीलबन्धुजीवे इ वा, भवेयोरूवे ? गोयमा ! णो इण? समह । एत्तो अणिट्ठतरिया जाव अमणामतरिया चेव वन्नेणं पन्नत्ता। -पण्ण० प १७ । उ ४ । सू १२२७ । पृ० २६३ (ख) नीलाऽसोगसंकासा, चासपिच्छसमप्पभा । वेरुलियनिद्धसंकासा, नीललेसा उ वण्णओ ।। --उत्त० अ ३४ । गा ५ । पृ० ३०५ (ग) नीललेस्सा नीलवन्नेणं साहिज्जइ । -षट० पु १६ । पृ० ४८४ भृग, भृग की पंख, चास, चासपच्छि ; शुक, शुक्र के पंख, श्यामा, वनराजि उच्चतक, कबूतर की ग्रीवा, मोरकी की नीवा, बललेव के शस्त्र, अलसीपुष्प, वनफूल, अंजन के शिकर पुष्प, नीलोत्पल, नीलाशोक, नीलकणवीर, नीलबंधुजीव, स्निग्ध नीलमणि आदि के वर्ण की नीलता से अधिक अनिष्टकर, अकंतर, अप्रीतिकर, अमनोज्ञ तथा अनभावने नील वर्ण वाली नील लेश्या होती है। नील लेश्या पंचवर्ण में नील वर्णवाली होती है । ११.३ कापोत लेश्या के वर्ण : (क) काऊलेस्सा णं धंते ! केरिसिया वन्नेणं पन्नत्ता ? गोयमा ! से जहानामए खइरसारए इ वा कइरसारए इ वा धमाससारे इ वा तंवे इ वा तंबकरोडे इ वा तंबच्छिवाडियाए इ वा वाइगणिकुसुमे इ वा कोइलच्छदकुसुमे इ वा जवासाकुसुमे इ वा कलकुसुमे इ वा भवेयारूवे ? गोयमा! णो इण? सम? । काऊलेम्सा णं एत्तो अणिट्टतरिया जाव अमणामतरिया चेव वन्नेणं पन्नत्ता। -पण्ण० प १७ । उ ४ । सू १२२८ पृ० २६३-६४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016038
Book TitleLeshya kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year2001
Total Pages740
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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