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________________ प्रस्तावना जैन दर्शन सूक्ष्म और गहन है तथा मूल सिद्धांत ग्रन्थों में लेश्यादि का क्रमबद्ध विवेचन नहीं होने के कारण इसके अध्ययन में तथा इसे समझने में कठिनाई होती है । अनेक विषयों के विवेचन अपूर्ण अधूरे हैं । अत: अनेक स्थल इस कारण से भी समझ में नहीं आते हैं । अर्थबोध की इस दुर्गमता के कारण जैनअजैन दोनों प्रकार के विद्वान जैन दर्शन के अध्ययन में सकुचाते हैं । क्रमवद्ध तथा विषयानुक्रम विवेचन का अभाव जैन दर्शन के अध्ययन में सबसे बड़ी बाधा उपस्थित करता है - ऐसा हमारा अनुभव है । एक अमेरिकन छात्र लेश्या विषय पर शोध कर रहे थे । उन्होंने पत्र द्वारा जताया था कि हमने आपके द्वारा भेजी गई विश्वविद्यालय में 'लेश्या कोश' पुस्तक मिली फिर भी हम आपके पास लेश्या सम्बन्धी विशेष जानकारी के लिए कलकत्ता आ रहे हैं इससे हमको आपके द्वारा काफी सामग्री मिलेगी । इसी तरह एक विदेशी प्राध्यापक जैन दर्शन के लेश्या विषय पर शोध करने आये थे । उनके सामने बड़ी समस्या थी । उन्हें भी ऐसी कोई पुस्तक नहीं मिली जिसमें लेश्या पर क्रमबद्ध और विस्तृत विवेचन हो । उनको भी अनेक आगम व सिद्धांत ग्रन्थों को टटोलना पड़ा। यद्यपि पण्णवणा तथा उत्तरज्झयण में लेश्या पर अलग अध्ययन है । जब हमने 'पुद्गल' का अध्ययन प्रारम्भ किया तो हमारे सामने भी यही समस्या आयी । आगम और सिद्धांत ग्रन्थों से पाठों का संकलन करके इस समस्या का हमने काफी अंशों में समाधान किया । इस प्रकार जब जब हमने जैन दर्शन के अन्यान्य विषयों का अध्ययन प्रारम्भ किया तब-तब हमें सभी आगम तथा अनेक सिद्धांत ग्रन्थों को सम्पूर्ण पढ़कर पाठ संकलन करने पड़े । इसी तरह जिस विषय का भी अध्ययन किया हमें सभी ग्रन्थों का आद्योपांत अवलोकन करना पड़ा । इससे हमें अनुमान हुआ कि विदवद् वर्ग जैन दर्शन के गम्भीर अध्ययन में क्यों सकुचाते हैं । सर्वप्रथम हमने विशिष्ट पारिभाषिक, दार्शनिक तथा आध्यात्मिक विषयों की सूची बनाई । विषय संख्या १००० से भी अधिक हो गई । इन विषयों के सुष्ठु वर्गीकरण के लिए हमने आधुनिक सार्वभौमिक दशमलव वर्गीकरण का अध्ययन किया । तत्पश्चात् बहुत कुछ इस पद्धति का अनुसरण करते हुए Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016038
Book TitleLeshya kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year2001
Total Pages740
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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