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________________ लेश्या-कोश यदि कहा जाय कि लेश्या को दो रूप मान लिया जाय तो उससे उसका योग और कषाय दोनों मार्गणाओं में अन्तर्भाव हो जायेगा, यह भी कहना ठीक नहीं है ; क्योंकि कर्मलेप रूप एक कार्य को करनेवाले होने की अपेक्षा एक धर्म को प्राप्त हुए योग और कषाय को लेश्या माना गया है। यदि कहा जाय कि एक धर्म को प्राप्त हुए योग और कषाय रूप लेश्या होने से उन दोनों में लेश्या का अन्तर्भाव हो जायेगा, यह भी कहना ठीक नहीं है, क्योंकि दो धर्मों के संयोग से उत्पन्न हुए द्वयात्मक धर्म अर्थात् किसी एक तीसरी अवस्था को प्राप्त किसी एक धर्म का केवल एक के साथ एकत्व अथवा साम्य मान लेने में विरोध आता है। च कि योग और कषाय के कार्य से भिन्न लेश्या का कार्य प्राप्त नहीं होता है, इसलिए उन दोनों से भिन्न लेश्या नहीं माननी चाहिए-यह कथन ठीक नहीं है, क्योंकि विपरीतता को प्राप्त ( मिथ्यात्व, अविरति आदि ) आलम्बन रूप ( आचार्यादि ) आचरणादि करने वाले बाह्य पदार्थों के सम्पर्क से लेश्याभाव को प्राप्त हुए योग और कषाय से ( जो केवल योग या केवल कषाय के कार्य से भिन्न है ) भी संसार की वृद्धि रूप कार्य की उपलब्धि होती है, अतः उन दोनों से लेश्या भिन्न है-यह बात सिद्ध हो जाती है। यदि संसार की वृद्धि का हेतु लेश्या है-ऐसी प्रतिज्ञा करते हैं तो 'जो ( कर्मों से ) लिप्त करती है वह लेश्या है' इस वचन के साथ विरोध होता है"_ ऐसा कथन भी ठीक नहीं है, क्योंकि लेश्या का कर्मलेप के साथ अविनाभाव सम्बन्ध है, अतः संसार-वृद्धि के हेतु को लेश्या मानने में कोई विरोध नहीं आता है। अतः योग और कषाय से भिन्न लेश्या है—यह बात सिद्ध हो जाती है। (३) कसायाणुभागफहयाणमुदयमागदाणं जहण्णफहयप्पहुडि जाव उक्कस्सफद्दया त्ति ठइदाणं छब्भागविहत्ताणं पढमभागो मंदतमो, तदुदएण जादकसाओ सुक्कलेस्सा णाम । बिदिभागो मंदतरो, तदुदएण जादकसाओ पम्मलेस्सा णाम। तदियभागो मंदो, तदुदएण जादकसाओ तेउलेस्सा णाम। चउत्थभागो तिव्वो, तदुदएण जादकसाओ काउलेस्सा णाम । पंचमभागो तिव्वयरो, तस्सुदएण जादकसाओ णीललेस्सा णाम। छट्टो भागो तिव्वतमो, तस्सुदएण जादकसाओ किण्णलेस्सा णाम । जेणेदाओ छप्पि लेसाओ कसायाणमुदएण होंति तेण ओदइयाओ। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016038
Book TitleLeshya kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year2001
Total Pages740
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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