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________________ २५ लेश्या-कोश ०४.४३ लेस्साअंतरविहाणे (लेश्या-अन्तरविधान ) -षट ० पु १६ । पृ० ५७२ टीका-लेस्सापरिणामे त्ति अणियोगद्दारे दस वित्थरपदाणि । तं जहा-xx x लेस्साअंतरविहाणे ६ x x x । लेश्यापरिणाम अनुयोगद्वार के दस विस्तार पदों में लेश्या-अंतरविधान छठा पद है। सम्भवतः इसमें लेश्याओं के अंतर-अंतरकाल का वर्णन किया गया हो। '०४४४ लेस्साकालविहाणे ( लेश्याकालघिधान ) -षट० पु १६ । पृ० ५७२ टीका-लेस्सापरिणामे त्ति अणियोगद्दारे दस वित्थरपदाणि । तं जहा-- x x x लेस्साकालविहाणे ५xxx। लेश्यापरिणाम अनुयोगद्वार के दस विस्तार पदों में लेश्याकालविधान पाँचवाँ पद है। सम्भवतः इसमें लेश्या की कालस्थिति के नियमों का वर्णन किया गया हो। ०४.४५ लेस्सागइसमोदारो (लेश्यागतिसमवतार) -षट० पु १६ । पृ० ५७२ टीका-लेस्सापरिणामे त्ति अणियोगदारे दस वित्थरपदाणि । तं जहा- x x x लेस्सागइसमोदारो १० । लेश्यापरिणाम अनुयोगद्वार के दस विस्तार पदों में लेश्यागतिसमवतार दसवाँ पद है। इसमें लेश्या के अनुसार जीव की जो गति होती है उसका वर्णन किया गया है-ऐसा सम्भव है। ०४.४६ लेस्सागई ( लेस्सागति ) -पण्ण० प १६ । सू १११६ मूल-से किं तं लेस्सागई ? जण्णं किण्हलेस्सा नीललेस्सं पप्प तारूवत्ताए तावण्णत्ताए तागंधत्ताए तारसत्ताए ताफासत्ताए भुज्जो भुज्जो परिणमति, एवं नीललेस्सा काउलेस्सं पप्प तरूवत्ताए जाव Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016038
Book TitleLeshya kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year2001
Total Pages740
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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