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________________ ( 110 ) औदारिक शरीर बादर स्थूल पुद्गलों से बना हुआ है । औदारिक शरीर से उत्तरोत्तर सूक्ष्म- सूक्ष्म पुद्गलों स्कन्धों से रचित दूसरे दूसरे शरीर है । औदारिक शरीर- उदार प्रधान है | शरीर की उदारता के विषय में आवश्यक सूत्र कहा है में - जिनेश्वर देव के रूप से गणधर का रूप अनंतगुण हीन होता है, गणधर के रूप से आहारक शरीर अनंतगुण हीन, उससे अनंतगुण होन अनुत्तर विमानवासी देवों का रूप है, उससे नवेयकवासी, अच्युत, आनत, सहबार, शुक्र, लांतक, ब्रह्म, माहेन्द्र, सनत्कुमार, ईशान, सौधर्म, भवनपति, ज्योतिषी और व्यन्तर देवों का अनुक्रमतः अनंतगुण हीन है, उससे चक्रवर्ती, वासुदेव, बलदेव, मांडलिकराजाओं का रूप अनंतगुण होन है । उसके बाद अन्य राजाओं व सर्व मनुष्यों का रूप है । स्थानगत होता है । वे छ: स्थान इस प्रकार हैं । (१) अनंत भागहीन, (२) असंख्यात भागहीन, (३) संख्यात भागहीन, (४) संख्यातगुणहीन, (५) असंख्यातगुणहीन व, (६) अनंतगुणहीन | अस्तु औदारिक शरीर से वैक्रिय शरीर सूक्ष्म पुद्गलों से बना हुआ है, उससे आहारक शरीर सूक्ष्म पुद्गलों से बना हुआ है, उससे तेजस और तेजस से सूक्ष्म पुद्गलों का कार्मण शरीर बना हुआ है । खाये हुए आहार का परिपाक तथा श्राप देना अथवा अनुग्रह करना- तेजस शरीर का प्रयोजन है तथा एक भव से दूसरे भव में गति करना कार्मण शरीर का प्रयोजन है । ' आहारक शरीर चौदह पूर्वधर को हो सकता है । आहारक शरीर का अन्तर काल जघन्य एक समय, उत्कृष्ट छः मास का कहा है । निगोद जीव अनंत होते हुए भी औदारिक शरीर असंख्यात है परन्तु तेजस - कार्मण शरीर अनंत है 1 शरीर में दो पैर, दो हाथ, नितम्ब, पीठ, उर, सिर—ये आठ अंग हैं । शेष उपांग होते हैं । आयु का बंध मिश्र गुणस्थान और मिश्र काययोगों को छोड़कर अप्रमत्त गुणस्थान पर्यन्त ही होता है । सहस्रार—आठवें देवलोक तक शतार चतुष्क ( तियंचगति, तियंचगत्यानुपूर्वी, तियंचायु, उद्योत ) का बन्ध होता है, उसके ऊपर नहीं होता । भावधारा ( या लेश्या ) के आधार पर आभामंडल बदलता है और लेश्याध्यान के द्वारा आभामंडल को बदलने से भावधारा भी बदल जाती है । इस १. प्रकरण रत्नावली पृ० ६१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016038
Book TitleLeshya kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year2001
Total Pages740
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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