SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 73
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ लेश्या - कोश (ख) से नूणं भंते ! कण्हलेस्सा नीललेस्सं पप्प तारूवत्ताए तावण्णत्ताए तागंधत्ताए तारसत्ताए ताफासत्ताए भुज्जो भुज्जो परिणमइ ? इत्तो आढ़तं जहा चउत्थओ उद्देसओ तहा भाणियव्वं जाव वेरुलियमणिदिट्ठ तोत्ति । ३२ - पण्ण० प १७ । उ ५ । सू ५४ । पृ ४५० कृष्णलेश्या नीललेश्या के द्रव्यों का संयोग पाकर उसके रूप, उसके वर्ण, उसकी गन्ध, उसके रस, उसके स्पर्श में बार-बार परिणत होती है, यथा दूध दही का संयोग पाकर दहीरूप तथा शुद्ध ( श्वेत ) वस्त्र रंग का संयोग पाकर रंगीन वस्त्र रूप परिणत होता है । (ग) से नूणं भंते ! कण्हलेस्सा नीललेस्सं काऊलेस्सं तेऊलेस्सं पम्हलेस्सं सुकलेस्सं पप्प तारूवत्ताए तावण्णत्ताए वागंधत्ताए तारसत्ताए ताफासत्ताए भुज्जो २ परिमइ ? हंता गोयमा ! कण्हलेस्सा नीललेस्सं पप्प जाव सुक्कलेस्सं पप्प तारूवत्ताए तागंधत्ताए ताफासत्ताए भुज्जो २ परिणमइ । से केणठ्ठणं भंते! एवं वुञ्चइ -- ' कण्ह लेस्सा नीललेस्सं जाव सुक्कलेस्सं पप्प तारूवत्ताए जाव भुज्जो २ परिणमइ' ? गोमा ! से जहानामए वेरुलियमणी सिया कण्हसुत्तए वा नीलसुत्तए वा लोहिय सुत्तर वा हालिद्दसुत्तए वा सुकिल्लसुत्तए वा आइए समाणे तारूवत्ताए जाव भुज्जो २ परिणम से तेणट्टणं एवं वच्चइ - ' कण्हलेस्सा नीललेस्सं जाव सुक्कलेस्सं पप्प तारूवत्ताए भुज्जो २ परिणमइ । - पण्ण० प १७ । ४ । सू ३२ | पृ० ४४५-४४६ कृष्णलेश्या नीललेश्या, कापोतलेश्या, तेजोलेश्या, पद्मलेश्या तथा शुक्ललेश्या के द्रव्यों का संयोग पाकर उन उन लेश्याओं के रूप, वर्ण, गंध, रस और स्पर्श रूप बार-बार परिणत होती है, यथा- वैडूर्यमणि में जैसे रंग का सूता पिरोया जाय वह वैसे ही रंग में प्रतिभासित हो जाती है 1 १६. २ नीललेश्या का अन्य लेश्याओं में परस्पर परिणमन (क) एवं एएणं अभिलावेणं नीललेस्सा काऊलेस्सं पप्पxx जाव भुज्जो २ परिणमइ । (ख) से नूर्ण भंते! नीललेस्सा भुज्जो २ परिणमइ ? हंता गोयमा Jain Education International - पण्ण० प १७ । उ४ । सू ३२ | पृ० ४४५ कण्हलेस्सं जाव सुक्कलेस्सं पप्प तारूवत्ताए जाव एवं चेव । - पण ० प १७ । उ ४ | सू ३३ | पृ० ४४६ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016037
Book TitleLeshya kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1966
Total Pages338
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy