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________________ २५६ ६८२ अंगुत्तरनिकाय में : '६८२१- पूरणकाश्यप द्वारा प्रतिपादित : भारत की अन्य प्राचीन श्रमण परम्पराओं में भी 'जाति' नाम से लेश्या से मिलतीजुलती मान्यताओं का वर्णन है । पूरणकाश्यप के अक्रियावाद तथा मक्खलि गोशालक के संसार - विशुद्धिवाद में भी छः जीव भेदों का वर्णन हैं । लेश्या-कोश एकमन्तं निसिन्नो खो आयस्मा आनन्दो भगवन्तं एतदवोच - “पूरणेन, भंते, कस्सपेन छलभिजातियो पञ्ञत्ता तव्हा भिजाति पञ्ञत्ता, नीलाभिजाति पव्ञत्ता, लोहिताभिजाति पञ्ञत्ता, हलिहा भिजाति पञ्ञत्ता, सुक्काभिजाति पञ्ञत्ता, परमसुक्का भिजाति पञ्ञत्ता । " तत्रि, भन्ते, पूरणेन कस्सपेन तण्हाभिजाति पञ्ञत्ता, ओरब्भिका सूकरिका साकुणिका माविका लुदा मच्छघातका चोरा चोरघातका बन्धनागारिका ये वा पनयेपि केचि कुरूर कम्मन्ता ।” “तत्रिदं, भन्ते, पूरणेन कस्सपेन नीलाभिजाति पञ्ञत्ता, भिक्खू कण्टकवुत्तिका ये वा पनञ्ये पि केचि कम्मवादा किरियवादा।" " तत्रिदं, भन्ते, पूरणेन कस्सपेन लोहिताभिजाति पञ्ञत्ता, निगण्ठा एकसाटका ।" " तत्रिदं भन्ते, पूरणेन कस्सपेन हलिद्दाभिजाति पञ्चत्ता, गिही ओदातवसना अचेलकसावका ।” “तत्रिदं, भंते, पूरणेन कस्सपेन सुक्काभिजाति पञ्चता, आजीवका आजीव किनियो ।” “तत्रिदं भंते, पूरणेन कस्सपेन परमसुक्काभिजाति पञ्चता, नन्दो वच्छो किसो सङ्किच्चो मक्खलि गोसालो । पूरणेन, भन्ते, कस्सपेन इमा छलभिजातियो पन्मत्ता" त्ति । - अंगुत्तरनिकाय । ६ महावग्गो । ३ छलभिजातिसुत्तं । आनन्द भगवान् बुद्ध को पूछते हैं - " भदन्त ! पूरणकाश्यप ने कृष्ण, नील, लोहित, हारिद्र शुक्ल तथा परम शुक्ल वर्ण ऐसी छः अभिजातियाँ कही हैं। खाटकी ( खटिक ), पारधी इत्यादि मनुष्य का कृष्ण जाति में समावेश होता है । भिक्षुक आदि कर्मवादी मनुष्यों का नील जाति में, एक वस्त्र रखनेवाले निर्ग्रन्थों का लोहित जाति में, सफेद वस्त्र धारण करने वाले अचेलक श्रावकों का हारिद्र जाति में, आजीवक साधु तथा साध्वियों का शुक्ल जाति में तथा नन्द, वच्छ, किस, संकिच्च और मक्खली गोशालक का परम शुक्ल जाति में समावेश होता है।” '६८.२·२ भगवान् बुद्ध द्वारा प्रतिपादित छः अभिजातियाँ : “अहं खो पनानन्द, छलभिजातियो पञ्ञापेमि । तं सुणाहि, साधुकं मनसि करोहि ; भासिस्सामी" ति । “ एवं, भन्ते" ति खो आयस्मा आनन्दो भगवतो Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016037
Book TitleLeshya kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1966
Total Pages338
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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