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________________ ३. लेश्या कषायोदय से अनुरंजित योगप्रवृत्ति है - कषायोदयरंजिता योगप्रवृत्ति र्लेश्या । I ४. जिस प्रकार अष्टकर्मों के उदय से संसारस्थत्व तथा असिद्धत्व होता है उसी प्रकार अष्टकर्मों के उदय से जीव लेश्यत्व को प्राप्त होता है । लेश्यत्व जीवोदय निष्पन्न भाव है । अतः कर्मों के उदय से जीव के छः भावलेश्याएँ होती हैं । द्रव्यलेश्या पौद्गलिक है, अतः अजीवोदय निष्पन्न होनी चाहिए - पओगपरिणाम ए वण्णे, गंधे, रसे, फासे, सेत्तं अजीवोदयनिफन्ने (देखें ०५११४)। द्रव्यलेश्या क्या है ? १ - द्रव्यलेश्या अजीव पदार्थ है । २ - यह अनंत प्रदेशी अष्टस्पर्शी पुद्गल है ( देखें १४ व १५ ) । ३ - इसकी अनंत वर्गणा होती है ( १७ ) । ४ – इसके द्रव्यार्थिक स्थान असंख्यात हैं ( २१ ) । ५ — इसके प्रदेशार्थिक स्थान अनंत हैं ( २६ ) । ६- छः लेश्या में पाँच ही वर्ण होते हैं ( २७ ) ७ - यह असंख्यात प्रदेश अवगाह करती है ( '१६ ) । ८--यह परस्पर में परिणामी भी है, अपरिणामी भी है ( ६ - यह आत्मा के सिवाय अन्यत्र परिणत नहीं होती है ( १० - यह अजीवोदय निष्पन्न है ( ०५११४ ) । ११ यह गुरु लघु है ( २८ ) । १२ – यह भावितात्मा अनगार के द्वारा अगोचर - अज्ञेय है ( ०५१·१३)। १३ - यह जीवग्राही है ( '०५१*१० ) । १४- प्रथम की तीन द्रव्यलेश्या दुर्गन्धवाली हैं तथा पश्चात् की तीन द्रव्यलेश्या सुगंधवाली हैं ( पृ० १५ ) । १५ - प्रथम की तीन द्रव्यलेश्या अमनोज्ञ रसवाली हैं तथा पश्चात् की तीन द्रव्यलेश्या मनोज्ञ रसवाली हैं ( पृ० १६ ) । १६ - प्रथम की तीन द्रव्यलेश्या शीतरूक्ष स्पर्शवाली हैं तथा पश्चात् की तीन द्रव्यलेश्या ऊष्ण स्निग्ध स्पर्शवाली हैं ( पृ० १६ ) । १७ - प्रथम की तीन द्रव्यलेश्या वर्ण की अपेक्षा अविशुद्ध वर्णवाली हैं तथा पश्चात् की तीन द्रव्यश्या विशुद्ध वर्णवाली हैं ( पृ० १६ ) । १८ – यह कर्म पुद्गल से स्थूल है । १६–यह द्रव्यकषाय से स्थूल है । २०- यह द्रव्य मन के पुद्गलों से स्थूल है । २१ - यह द्रव्य भाषा के पुद्गलों से स्थूल है । २२ - यह औदारिक शरीर पुद्गलों से सूक्ष्म है २३–यह शब्द पुद्गलों से सूक्ष्म है । 1 [ 27 ] Jain Education International १६ व '२० ) । २०७ ) । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016037
Book TitleLeshya kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1966
Total Pages338
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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