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________________ २१६ लेश्या-कोश '८६ १ सलेशी महायुग्म एकेन्द्रिय जीव : (कडजुम्मकडजुम्मएगिदिया ) ते णं भंते ! जीवा किं कण्हलेस्सा० पुच्छा ? गोयमा ! कण्हलेस्सा वा, नीललेस्सा वा, काऊलेस्सा वा, तेऊलेस्सा वा। xxx एवं एएसु सोलससु महाजुम्मेसु एक्को गमओ। -भग० श ३५ । श १ । उ १ । प्र६, १६ । पृ० ६२६-२७ कृतयुग्मकृतयुग्म एकेन्द्रिय जीवों में कृष्णलेश्या, नीललेश्या, कापोतलेश्या, तेजोलेश्याये चार लेश्याएँ होती हैं। इसी प्रकार सोलह महायुग्मों में चार लेश्याएँ होती हैं। एवं एए (णं कमेणं) एक्कारस उद्दे सगा। -भग० श ३५ । श १ । उ ११ । प्र६ । पृ० ६२६ इसी क्रम से निम्नलिखित ग्यारह उद्देशक कहने। ग्यारह उद्देशक इस प्रकार हैं (१) कृतयुग्मकृतयुग्म, (२) पढमसमयकृतयुग्मकृतयुग्म, (३) अपढमसमय०, (४) चरमसमय०, (५)अचरमसमय०,(६) प्रथम-प्रथमसमय०,(७)प्रथमअप्रथमसमय०, (८) प्रथमचरमसमय०, (६) प्रथमअचरमसमय०, (१०) चरमचरमसमय० तथा (११) चरमअचरमसमय०। __ इन ग्यारह उद्देशकों में प्रत्येक उद्देशक में सोलह महायुग्म कहने । पढमो तइओ पंचमओ य सरिसगमा, सेसा अट्ठ सरिसगमगा। नवरं चउत्थे छ? अट्ठमे दसमे य देवा न उववज्जंति, तेऊलेस्सा नत्थि । -भग० श ३५ । श१ । उ ११ । प्र६ । पृ० ६२६ पहले, तीसरे, पाँचवें उद्देशक का एक सरीखा गमक होता है तथा बाकी आठ का एक सरीखा गमक होता है। चौथे, छठे, आठवें तथा दशवें गमक में कृष्ण-नील-कापोतलेश्या होती है, तेजोलेश्या नहीं होती है। बाकी के उद्देशकों में कृष्ण-नील-कापोत-तेजो ये चारों लेश्याएँ होती हैं। नोट :- यद्यपि उपरोक्त पाठ से छठे उद्देशक में तेजोलेश्या नहीं ठहरती है लेकिन छठे उद्देशक में जो भुलावण है उसके अनुसार इस उद्देशक में चारों लेश्याएँ होनी चाहिये। प्रवीण व्यक्ति इस पर विचार करें । कण्हलेस्सकडजुम्मकडजुम्मएगिदिया णं भंते ! कओ उववज्जति० १ गोयमा! उववाओ तहेव, एवं जहा ओहिउद्दसए। नवरं इमं नाणत्तं ते गं भंते ! जीवा कण्हलेस्सा ? हंता कण्हलेस्सा। ते णं भंते ! 'कण्हलेस्सकडजुम्मकडजुम्मएगिदिय' त्ति कालओ केवच्चिरं होइ ? गोयमा ! जहन्नेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं अंतोमुहुत्त । एवं ठिईए वि । सेसं तहेव जाव अणंतखुत्तो । एवं सोलस वि जुम्मा भाणियव्वा । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016037
Book TitleLeshya kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1966
Total Pages338
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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