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________________ २१४ लेश्या-कोश '८५२ सलेशी क्षुद्रयुग्म नारकी का उद्वर्तन : खुड्डागकडजुम्मनेरइया णं भंते! अणंतरं उव्वट्टित्ता कहिं गच्छंति, कहिं उववजंति ? किं नेरइएसु उववज्जति ? तिरिक्खजोणिएसु उववज्जति० ? उव्वट्टणा जहा वर्कतीए। ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवइया उध्वट्टति ? गोयमा ! चतारि वा अठ्ठ वा बारस वा सोलस वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा उव्वट्ठति ।। ते णं भंते ! जीवा कहं उव्वट्टति ? गोयमा ! से जहा नामए पवए-एवं तहेव । एवं सो चेव गमओ जाव आयप्पओगेणं उव्वदृति, नो परप्पओगेणं उव्वट्ठति। रयणप्पभापुढविखुड्डागकड० ? एवं रयणप्पभाए वि, एवं जाव अहेसत्तमाए (वि)। एवं खुड्डागतेओगखुड्डागदावरजुम्मखुट्टागकलिओगा। नवरं परिमाणं जाणियव्वं, सेसं तं चेव। कण्हलेस्सकडजुम्मनेरइया-एवं एएणं कमेणं जहेव उववायसए अट्ठावीसं उद्दसगा भाणिया तहेव उव्वट्टणासए वि अट्ठावीसं उद्देसगा भाणियव्वा निरवसेसा । नवरं 'उव्वति' त्ति अभिलावो भाणियव्वो, सेसं तं चेव । -भग० श ३२ । पृ० ६१२-१३ ८५.१ में जैसे उपपात के २८ उद्देशक कहे उसी प्रकार उद्वर्तन के २८ उद्देशक कहने लेकिन उपपात के स्थान पर उद्वर्तन कहना। ८६ सलेशी महायुग्म जीव : [ इस प्रकरण में महायुग्म राशि जीवों का विवेचन किया गया है। महायुग्म राशि के सोलह भेद होते हैं, यथा-(१) कृतयुग्म कृतयुग्म, (२) कृतयुग्म व्योज, (१) कृतयुग्म द्वापरयुग्म, (४) कृतयुग्म कल्योज, (५) व्योज कृतयुग्म, (६) ज्योज ब्योज, (७) व्योज द्वापरयुग्म, (८) व्योज कल्योज, (६) द्वापरयुग्म कृतयुग्म, (१०) द्वापरयुग्म त्र्योज, (११) द्वापरयुग्म द्वापरयुग्म, (१२) द्वापरयुग्म कल्योज, (१३) कल्योज कृतयुग्म, (१४) कल्योज व्योज, (१५) कल्योज द्वापरयुग्म तथा (१६) कल्योज कल्योज। महायुग्म के सोलह भेद राशि (संख्या) तथा अपहार समय की अपेक्षा से किये गये हैं। जिस राशि में से प्रतिसमय चार-चार घटाते-घटाते शेष में चार बाकी रहे तथा घटाने के समयों में से भी चार Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016037
Book TitleLeshya kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1966
Total Pages338
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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