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________________ १६५ लेश्या-कोश '७८ सलेशी जीव और कर्मप्रकृति का सत्ता-बन्धन-वेदन :•७८ १ सलेशी एकेन्द्रिय और कर्मप्रकृति का सत्ता-बंधन-वेदन :___ काविहा णं भंते ! कण्हलेस्सा एगिदिया पन्नत्ता ? गोयमा ! पंचविहा कण्हलेस्सा एगिदिया पन्नत्ता, तंजहा-पुढविकाइया जाव वणस्सइकाइया । कण्हलेस्सा णं भंते ! पुढविकाइया कइविहा पन्नत्ता, गोयमा ! दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-सुहुमपुढविकाइया य बायरपुढविकाइया य। कण्हलेस्सा णं भंते ! सुहुमपुढविकाइया कइ विहा पन्नत्ता ? गोयमा ! एवं एएणं अभिलावेणं चउक्कभेदो जहेव ओहिउद्दसए, जाव वणस्सइकाइय त्ति । कण्हलेस्सअपज्जत्तसुहुमपुढविकाइया णं भंते! कइ कम्मप्पगडीओ पन्नत्ताओ? एवं चेव एएणं अभिलावेणं जहेव ओहिउद्दसए तहेव पन्नत्ताओ तहेव बन्धन्ति, तहेव वेदेन्ति । कइविहा णं भंते ! अणंतरोववन्नगा कण्हलेस्सा एगिदिया पन्नत्ता ? गोयमा ! पंचविहा अणंतरोववन्नगा कण्हलेस्सा एगिदिया, एवं एएणं अभिलावेणं तहेव दुयओ भेदो जाव वणस्सइकाइय त्ति । अणंतरोववन्नगा कण्हलेस्ससुहुमपुढविकाइयाणं भंते ! कइ कम्मप्पगडीओ पन्नत्ताओ ? एवं एएणं अभिलावेणं जहा ओहिओ अणंतरोववन्नगाणं उद्दसओ तहेव जाव वेदेति । कइविहा णं भंते ! परंपरोववन्नगा कण्हलेस्सा एगिदिया पन्नत्ता ? गोयमा ! पंचविहा परंपरोववन्नगा कण्हलेस्सा एगिदिया पन्नत्ता, तंजहा-पुढविकाइया, एवं एएणं अभिलावेणं तहेव चउक्कओ भेदो जाव वणस्सइकाइया त्ति। परंपरोववन्नगकण्हलेस्सअपज्जत्तसुहुमपुढविकाइयाणं भंते! कइ कम्मप्पगडीओ पन्नत्ताओ? एवं एएणं अभिलावेणं जहेव ओहिओ परंपरोववन्नगउद्देसओ तहेव जाव वेदेति । एवं एएणं अभिलावणं जहव ओहिएगिदियसए एक्कारस उद्दे सगा भणिया तहेव कण्हलेस्ससए वि भाणियव्वा जाव अचरिमचरिमकण्हलेस्सा एगिदिया। एवं कण्हलेस्सेहिं भणियं एवं नीललेस्सेहि वि सयं भाणियव्वं । एवं काउलेस्सेहिं वि सयं भाणियव्वं, नवरं 'काउलेस्से'त्ति अभिलावो भाणियव्वो। -भग० श ३३ । श २ से ४। पु०६१४-१५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016037
Book TitleLeshya kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1966
Total Pages338
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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