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________________ लेश्या-कोश तरोगाढएहि वि अहीणमइरित्तो भाणियव्वो नेरइयादीए जाव वेमाणिए । -भग० श २६ । उ ४ । प्र १ । पृ० ६०१ मलेशी अनंतरावगाढ जीव-दंडक के सम्बन्ध में वैसे ही कहना, जैसा अनंतरोपपन्न विशेषण वाले सलेशी जीव-दण्डक के सम्बन्ध में पापकर्म तथा अष्टकर्म के बंधन के विषय में कहा है। टीकाकार के अनुसार अनंतरोपपन्न तथा अनंतरावगाढ में एक समय का अन्तर होता है। •७४ ५ सलेशी परंपरावगाढ जीव और कर्मबंधन : परंपरोगाढए णं भंते ! नेरइए पावं कम्मं किं बंधी० ? जहेव परंपरोववन्नएहिं उद्दसो सो चेव निरवसेसो भाणियव्वो। -भग० श २६ । उ ५। प्र १ । पृ० ६०१-६०२ मलेशी परंपरावगाढ जीव-दंडक के सम्बन्ध में वैसे ही कहना, जैसा परंपरोपपन्न विशेषण वाले मलेशी जीव-दंडक के सम्बन्ध में पापकर्म तथा अष्टकर्म बंधन के विषय में कहा है। ७४.६ सलेशी अनंतराहारक जीव और कर्मबंधन : अणंतराहारए णं भंते ! नेरइए पावं कम्मं किं बंधी० पुच्छा ? गोयमा ! एवं जहेव अणंतरोववन्नएहिं उद्देसो तहेव निरवसेसं । -भग० श २६ । उ ६ । प्र १ । पृ० १०२ सलेशी अनंतराहारक जीव-दंडक के सम्बन्ध में वैसे ही कहना, जैसा अनंतरोपपन्न विशेषण वाले मलेशी जीव-दंडक के संबंध में पापकर्म तथा अष्टकर्म बंधन के विषय में कहा है। •७४.७ सलेशी परंपराहारक जीव और कर्मबंधन : परंपराहारए णं भंते! नेरइए पावं कम्मं किं बंधी० पुच्छा ? गोयमा! एवं जहेव परंपरोववन्नएहि उद्दे सो तहेव निरवसेसो भाणियव्वो। -भग० श २६ । उ ७ । प्र १ । पृ०६०२ सलेशी परंपराहरक जीव-दंडक के सम्बन्ध में वैसे ही कहना, जैसा परंपरोपपन्न विशेषण वाले सलेशी जीव-दंडक के सम्बन्ध में पापकर्म तथा अष्टकर्म बंधन के विषय में कहा है। .७४८ सलेशी अनंतरपर्याप्त जीव और कर्मबंधन : अणंतरपज्जत्तए णं भंते ! नेरइए पावं कम्मं किं बंधी० पुच्छा ? गोयमा ! जहेव अणंतरोववन्नएहिं उद्देसो तहेव निरवसेसं। -भग० श २६ । उ ८ । प्र १ । पृ० ६०२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016037
Book TitleLeshya kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1966
Total Pages338
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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