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________________ १८४ लेश्या -कोश ७४. १५ सलेशी औधिक जीव-दंडक और मोहनीय कर्म बन्धन : जीवे भंते! मोह णिज्जं कम्मं किं बंधी बंधइ० जहेव पावं कम्मं तहेव मोहणिज्जं वि निरवसेसं जाव वैमाणिए । मोहनीय कर्म के बंधन की वक्तव्यता - भग० श २६ । उ १ । प्र १६ । पृ० ६०० निरवशेष उसी प्रकार कहनी, जिस प्रकार पाप कर्म बंधन की वक्तव्यता कही है । .७४ १६ सलेशी औधिक जीव-दंडक और आयु कर्म बन्धन : जीवे णं भंते! आउयं कम्मं किं बंधी बंधइ० पुच्छा ? गोयमा ! अत्थेगइए बंधी० चउभंगो, सलेस्से जाव सुक्कलेस्से चत्तारि भंगा; अलेस्से चरिमो भंगो । × × × नेरइए णं भंते ! आउयं कम्मं किं बंधी० - पुच्छा १ गोयमा ! अत्थेगइए चत्तारि भंगा, एवं सव्वत्थ वि नेरइयाणं चत्तारि भंगा, नवरं कण्हलेस्से कण्हपक्खिए य पढमततिया भंगाxxx । असुरकुमारे एवं चेव, नवरं कण्हलेस्से वि चत्तारि भंगा भाणि - यव्वा, सेसं जहा नेरइयाणं एवं जाव थणियकुमाराणं । पुढविक्काइयाणं सव्वत्थ विचत्तारि भंगा, नवरं कण्हपक्खिए पढमतइया भंगा । तेऊलेस्से पुच्छा ? गोयमा ! बंधी न बंधर बंधिस्सइ ; सेसेसु सव्वत्थ चत्तारि भंगा । एवं आउक्काइय वणस्सकाइया व निरवसेसं । तेडक्काइयवाउक्काइयाणं सव्वत्थ वि पढमतइया भंगा । बेईदियचउरिदियाणं वि सव्वत्थ वि पढमतझ्या भंगा। Xxx पंचिंदिय तिरिक्ख जोणियाणं x x x सेसेसु चत्तारि भंगा । मणुस्साणं जहा जीवाणं । × × × सेसं तं चैव वाणमंत रजोइ सियवेमाणिया जहा असुरकुमारा । - भग० श २६ । उ १ । प्र २०, २४, २५ । पृ० ६००-६०१ सलेशी जीव कृष्णलेशी जीव यावत् शुक्ललेशी जीव कोई प्रथम विकल्प से, कोई द्वितीय विकल्प से, कोई तृतीय विकल्प से, कोई चतुर्थ विकल्प से आयुकर्म का बंधन करता है । अलेशी जीव चतुर्थ विकल्प से आयु कर्म का बन्धन करता है। सलेशी नारकी, नीललेशो नारकी व कापोतलेशी नारकी कोई प्रथम विकल्प से, कोई द्वितीय विकल्प से, कोई तृतीय विकल्प से, कोई चतुर्थ विकल्प से आयुकर्म का बन्धन करता है। लेकिन कृष्णलेशी नारकी कोई प्रथम विकल्प से, कोई तृतीय विकल्प से आयुकर्म का बन्धन करता है सलेशी, कृष्णलेशी यावत् तेजोलेशी असुरकुमार यावत् स्तनितकुमार कोई प्रथम विकल्प से, कोई द्वितीय विकल्प से, कोई तृतीय विकल्प से, कोई चतुर्थ विकल्प से आयु कर्म का बन्धन करता है । सलेशी, कृष्णलेशी, नीललेशी व कापोतलेशी पृथ्वीकायिक जीव कोई प्रथम विकल्प से, कोई द्वितीय विकल्प से, कोई तृतीय विकल्प से, कोई चतुर्थ विकल्प से आयु 1 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016037
Book TitleLeshya kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1966
Total Pages338
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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