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________________ लेश्या - कोश लेश्या का उत्तरोत्तर विशुद्ध होना विभंग अज्ञान की प्राप्ति में शुभ अध्यवसाय और शुभ परिणाम के साथ एक आवश्यक अंग है । • ६६०३ सलेशी का सलेशी को जानना व देखना : '६६·३१ विशुद्ध - अविशुद्धलेशी देव का विशुद्ध अविशुद्धलेशी देव देवी को जानना व देखना : अविसुद्ध से णं भंते! देवे असम्मोहएणं अप्पाणएणं अविसुद्धलेसं देवं, देवि, अन्नयरं जाणइ, पासइ ? णो तिठ्ठे समट्ठे (१) । एवं अविसुद्ध से देवे असम्मोहएणं अप्पाणेणं विसुद्ध लेसं देवं (२) । अविसुद्ध से सम्मोहन अप्पाणेणं अविसुद्धलेसं देवं (३) । अविसुद्ध से देवे सम्मोहरणं अप्पाणेणं विसुद्धलेसं देवं (४) । अविसुद्ध से सम्मोहयाऽसम्मोहरणं अविसुद्धलेसं देवं (५) । अविसुद्ध से सम्मोहयाऽसम्मोहएणं विसुद्धलेसं देवं (६) । विसुद्धले से असम्मोहरणं अविसुद्धलेसं देवं (७ । विसुद्धलेसे असम्मोहरणं विसुद्धलेसं देवं (८) । १६८ विसुद्ध से णं भंते देवे सम्मोहएणं अविसुद्धलेसं देवं जाग ? हंता, जाणइ (ह) । एवं विसुद्धलेसे सम्मोहएणं विसुद्धलेसं देवं जाणइ ? हंता, जाण३ (१०) । विसुद्ध से सम्मोहयाऽसम्मोहरणं अविसुद्धलेसं देवं ? (११) । विसुद्ध से सम्मोहयाऽसम्मोहएणं विसुद्धलेसं देवं ? (१२) । एवं ल्लिएहिं अट्ठहिं न जाणइ न पास; उवरिल्लएहिं चउहिं जाण, पास । - भग० श ६ । उ ६ । प्र ७-१० । ० ५०६ ७ अविशुद्धलेशी देव अनुपयुक्त आत्मा द्वारा अविशुद्धलेशी देव व देवी को या दोनों में से किसी एक को नहीं जानता है, नहीं देखता है (१) । इसी प्रकार अविशुद्धलेश्यावाला देव अनुपयुक्त आत्मा द्वारा विशुद्धलेशी देव, देवी व अन्यतर को नहीं जानता है, नहीं देखता है (२) । अविशुद्धलेश्यावाला देव उपयुक्त आत्मा द्वारा अविशुद्धलेशी देव, देवी व अन्यतर को (३), अविशुद्धलेश्यावाला देव उपयुक्त आत्मा द्वारा विशुद्धलेशी देव, देवी वा अन्यतर को ( ४ ), अविशुद्धलेश्यावाला देव उपयुक्तानुपयुक्त आत्मा द्वारा अविशुद्धलेशी देव, देवी वा अन्यतर को (५), अविशुद्धलेश्यात्राला देव उपयुक्तानुपयुक्त आत्मा द्वारा विशुद्धलेशी देव, देवी वा अन्यतर को ( ६ ), विशुद्धलेशी देव अनुपयुक्त आत्मा द्वारा अविशुद्धलेशी देव, देवी वा अन्यतर को (७) तथा विशुद्धलेशी देव अनुपयुक्त आत्मा द्वारा विशुद्धलेशी देव, देवी वा अन्यतर को नहीं जानता है, नहीं देखता है ( ८ ) । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016037
Book TitleLeshya kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1966
Total Pages338
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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