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________________ लेश्या-कोश १३५ वानव्यन्तर देवों में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( संखेज्जवासाउय तहेव, देखो पाठ '५८'२०'२) उनमें प्रथम के तीन गमकों में छ लेश्या, मध्यम के तीन गमकों में चार लेश्या तथा शेष के तीन गमकों में छ लेश्या होती हैं (५८६३)। -भग० श २४ । उ २२ । प्र २-४ । पृ० ८४७ *५८ २०’४ असंख्यात् वर्ष की आयुवाले संज्ञी मनुष्य योनि से वानव्यंतर देवों में उत्पन्न होने योग्य जीवों में गमक-१-६ : असंख्यात् वर्ष की आयुवाले संज्ञी मनुष्य योनि से वानव्यंतर देवों में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( जइ मणुस्स० असंखेज्जवासाज्याणं जहेव नागकुमाराण उह से तहेव वत्तव्वया । x x x सेसं तहेव xxx ) उनमें नौ गमकों में ही चार लेश्या होती हैं ( ५८६४ ) । -भग० श २४ | उ २२ । प्र ५ | पृ० ८४७ ५८ २०५ ( पर्याप्त ) संख्यात् वर्ष की आयुवाले संज्ञी मनुष्य योनि से वानव्यंतर देवों में उत्पन्न होने योग्य जीवों में : गमक---१-१ : ( पर्याप्त ) संख्यात् वर्ष की आयुवाले संज्ञी मनुष्य योनि से वानव्यंतर देवों में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( xxx संखेज्जवासाज्यसन्निमणुस्से जहेब नागकुमारुद्द स XXX ) उनमें नौ गमकों में ही छ लेश्या होती हैं ( ५८·१५)। -भग० श २४ । उ २२ । प्र ५ । पृ० ८४७ '५८२१ ज्योतिषी देवों में उत्पन्न होने योग्य जीवों में :'५८'२१·१ असंख्यात् वर्ष की आयुवाले संज्ञी पंचेंद्रिय तिर्येच योनि से ज्योतिषी देवों में उत्पन्न होने योग्य जीवों में : गमक-१ से ४ व ५ से ६ : असंख्यात् वर्ष की आयुवाले संज्ञी पंचेंद्रिय तिर्यच योनि से ज्योतिषी देवों में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( असंखेज्जवासाज्यसन्निपंचिदियतिरिक्खजोणिए णं भंते! जे भविए जोइसिएस उववजित्तए Xx X अवसेसं जहा असुरकुमारुद्द स XX X एवं अणुबंधो वि से तहेव x x x ३ । ग०१ । सो वेब जहन्नकालट्ठिईएस उववन्नो xxx एस चेव वत्तवया XXX - प्र ४ । ग० २ । सो चेव उक्कोसकालट्ठिएस उववन्नो एस चेव वक्तव्वया XXX - प्र० ५ । ० ३ । सो चैत्र अपणा जहन्नकालट्ठिइओ जाओ x x x तेणं भंते जीवा ? एस चैव वत्त या XXX एवं अणुबंधोऽवि सेसं तव । XXX जहन्न कालट्ठियस्स एस चैव एक्को गमो - प्र ६-७ । ग०४ । सो चेव अप्पणा उक्कोसकालट्ठिइओ जाओ सा चेव ओहिया वक्तव्या XXX एवं अणुबंधोवि सेसं सं चेव । एवं पच्छिमा तिन्नि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016037
Book TitleLeshya kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1966
Total Pages338
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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