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________________ लेश्या - कोश १२७ -५८१८.३१ सहस्रार कल्पोपपन्न वैमानिक देवों से पंचेन्द्रिय तिर्यच योनि में उत्पन्न होने योग्य जीवों में : गमक - १-६ : सहस्रार कल्पोपपन्न उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( देखो पाठ शुक्ललेश्या होती है 1 वैमानिक देवों से पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनि में ५८१८२६ ) उनमें नौ गमकों में ही एक - भग० श २४ । उ २० । प्र ५४ | पृ० ८४४ *५८१६ मनुष्य योनि में उत्पन्न होने योग्य जीवों में :'५८१६१ रत्नप्रभापृथ्वी के नारकी से मनुष्य योनि में उत्पन्न होने योग्य जीवों में :-- गमक - १-६ : रत्नप्रभापृथ्वी के नारकी से मनुष्य योनि में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( रयणप्पभपुढविनेरइए णं भंते! जे भविए मणुस्सेसु उववज्जित्तए Xxx अवसेसा वक्तव्वया जहा पंचिदियतिरिक्खजोणिएसु उववज्जंतस्स तहेव । सेसं तं चैव ) उनमें नौ गमकों में ही एक कापोतलेश्या होती है (५८ १८१ ) । X X X - भग० श २४ । उ २१ । प्र २ | पृ० ८४४ '५८'१६'२ शर्कराप्रभापृथ्वी के नारकी से मनुष्य योनि में उत्पन्न होने योग्य जीवों में :--- गमक- १-६ : शर्कराप्रमापृथ्वी के नारकी से मनुष्य योनि में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( रयणप्पभपुढविनेरइए णं भंते! जे भविए मणुस्सेसु उववजित्तए Xxx अवसेसा वक्तव्वया जहा पंचिदियतिरिक्खजोगिएसु उववज्जंतस्म तहेव । × × × सेसं तं चैव ! जहा रयणप्पभाए वत्तत्र्वया तहा सक्करप्पभाए वि xxx ) उनमें नौ गमकों में ही एक कापोतलेश्या होती है ( ५८१६१7 ५८ १८१ ) । -भग० श २४ । उ २१ । प्र २ | पृ० ८४४ '५८'१६'३ बालुकाप्रभापृथ्वी के नारकी से मनुष्य योनि में उत्पन्न होने योग्य जीवों में :गमक--१-६ : बालुकाप्रभापृथ्वी के नारकी से मनुष्य योनि में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( रयणप्पभपुढविनेरइए णं भंते ! जे भविए मणुस्सेसु उववज्जित्तए Xxx अवसेसा वक्तव्वया जहा पंचिदियतिरिक्खजोणिएस उववज्जंतस्स तहेव | xxx सेसं तं चेव । जहा रयणप्पभाए वत्तव्वया तहा सक्करप्पभाए वि । × × × ओगाहणा -- लेस्सा- • हिइ - अणुबंध --संवेहं णाणत्तं च जाणेज्जा जहेष तिरिक्ख जोणियउद्देसए। एवं जाव - तमापुढविनेरइए ) उनमें नौ गमकों में ही --णाण- नील तथा कापोत दो लेश्या होती हैं ( ५३४ ) । Jain Education International -भग० श २४ । उ २१ । प्र २ | पृ० ८४४ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016037
Book TitleLeshya kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1966
Total Pages338
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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