SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 166
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ लेश्या - कोश १२५ Xxx एवं जाव - थणियकुमारे) उनमें नौ गमकों में ही चार लेश्या होती हैं। (५८१८२०५८'१०'१३ ) । -भग० श २४ । उ२० । प्र० ४८ । पृ० ८४३ '५८१८२२ वानव्यंतर देवों से पंचेन्द्रिय तिर्यच योनि में उत्पन्न होने योग्य जीवों में :गमक-- १-६ : वानव्यंतर देवों से पंचेन्द्रिय तिर्येच योनि में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( वाणमंतरे णं भंते! जे भविए पंचिदियतिरिक्ख० ? एवं चेव xxx ) उनमें नौ गमकों में ही चार लेश्या होती हैं ( '५८१८२१)। --भग० श २४ । उ २० । प्र ५० । पृ० ८४३ '५८१८२३ ज्योतिषी देवों से पंचेन्द्रिय तिर्येच योनि में उत्पन्न होने योग्य जीवों में :गमक- १-६ : ज्योतिषी देवों से पंचेंद्रिय तिर्यच योनि में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं (जोइसिए णं भंते! जे भविए पंचिदियतिरिक्ख० ? एस चैव वत्तव्वया जहा पुढविकाइउद्देसए XXX ) उनमें नौ गमकों में ही एक तेजोलेश्या होती है ( '५८'१०'१६ ) । -भग० श २४ | उ २० | प्र५२ | पृ० ८४३ '५८१८'२४ सौधर्मकल्पोपपन्न वैमानिक देवों से पंचेन्द्रिय तिर्यच योनि में उत्पन्न होने योग्य जीवों में : गमक- १-६ : सौधर्मकल्पोपपन्न वैमानिक देवों से पंचेंद्रिय तिर्यच योनि में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( सोहम्मदेवे णं भंते! जे भविए पंचिदियतिरिक्खजोणिएसु उववज्जित्तए × × × सेसं जद्देव पुढविकाश्य उद्देसए नवसु वि गमएस xxx ) उनमें नौ गमकों में ही एक तेजोलेश्या होती है ( ५८ १० १७ ) । - भग० श २४ । उ२० । प्र ५४ । पृ० ८४४ '५८'१८'२५ ईशान कल्पोपपन्न वैमानिक देवों से पंचेंद्रिय तिर्यच योनि में उत्पन्न होने योग्य जीवों में : गमक - १-६ : ईशान कल्पोपपन्न वैमानिक देवों से पंचेंद्रिय तिर्यंच योनि में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( xxx एवं ईसाणदेवे वि) उनमें नौ गमकों में ही एक तेजोलेश्या होती है ( ५८१८२४ ) । --- भग० श २४ । उ २० । प्र ५४ | पृ० ८४४ '५८'१८'२६ सनत्कुमार कल्पोपपन्न वैमानिक देवों से पंचेन्द्रिय तिर्यच योनि में उत्पन्न होने योग्य जीवों में :-- गमक - १-६ : सनत्कुमार कल्पोपपन्न वैमानिक देवों से पंचेंद्रिय तिर्यच योनि में Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016037
Book TitleLeshya kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1966
Total Pages338
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy