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________________ ११४ लेश्या-कोश योग्य जो जीव हैं (जइ वणस्सइकाइएहितो उववज्जंति० ? वणस्सइकाइयाणं आउकाइयगमगसरिसा णव गमगा भाणियव्वा) उनमें प्रथम के तीन गमकों में चार लेश्या, मध्यम के तीन गमकों में तीन लेश्या तथा शेष के तीन गमकों में चार लेश्या होती हैं (५८.१०.२-५८.१०.१)। -भग० श २४ । उ १२ । प्र १८ । पृ०८३१ '५८.१०.६ द्वीन्द्रिय से पृथ्वीकायिक जीवों में उत्पन्न होने योग्य जीवों में : गमक-१-६ : द्वीन्द्रिय से पृथ्वीकायिक जीवों में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं (बेइंदिए णं भंते! जे भविए पुढविक्काइएसु उवजित्तए xxx ते गं भंते ! जीवाoxxx तिन्नि लेस्साओ xxx-प्र २०-२१। ग०१। सो चेव जहन्नकालट्ठिईएसु उववन्नो एस चेव वत्तव्वया सव्वा-प्र० २२ । ग० २ । सो चेव उक्कोसकालछिईए उववन्नो एस चेव बेइंदियस्स लद्धी -प्र० २३। ग० ३। सो चेव अप्पणा जहन्नकालट्ठिईओ जाओ, तस्स वि एस चेव वत्तव्वया तिसु वि गमएसु xxx -प्र० २४ । ग० ४-६ । सो चेव अप्पणा उक्कोसकालट्ठिईओ जाओ, एयस्स वि ओहियगमगसरिसा तिन्नि गमगा भाणियव्वा xxx -प्र० २५। ग० ७-६ ) उनमें नौ गमकों ही में तीन लेश्या होती हैं। --भग० श २४ । उ १२ । प्र २०-२५ । पृ० ८३२ ५८.१०७ त्रीन्द्रिय से पृथ्वीकायिक जीवों में उत्पन्न होने योग्य जीवों में : गमक-१-६ : त्रीन्द्रिय से पृथ्वीकायिक जीवों में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं (जइ तेइंदिएहितो उववज्जति० एवं चेव नव गमगा भाणियव्वा xxx ) उनमें नौ गमकों में ही तीन लेश्या होती हैं (५८.१०.६) -भग० २४ । उ १२ । प्र २६ । पृ० ८३३ '५८१०८ चतुरिंद्रिय से पृथ्वीकायिक जीवों में उत्पन्न होने योग्य जीवों में :--- गमक--१-६ : चतुरिंद्रिय से पृथ्वीकायिक जीवों में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं (जइ चउरिदिएहिंतो उववज्जंति० एवं चेव चउरिंदियाण वि नव गमगा भाणियव्वा xxx ) उनमें नौ गमकों में ही तीन लेश्या होती हैं ( .५८.१०.६) -भग० श २४ । उ १२ । प्र २७ । पृ० ८३३ ५८.१०.६ असंज्ञी चेंद्रिय तिर्यंच योनि से पृथ्वीकायिक जीवों में उत्पन्न होने योग्य जीवों में : -- गमक–१-६ : असंज्ञी पंचेंद्रिय तिर्यंच योनि से पृथ्वीकायिक जीवों में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( असन्निपंचिंदियतिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए पुढविक्काइ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016037
Book TitleLeshya kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1966
Total Pages338
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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