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________________ लेश्या-कोश xxx एवं रयणप्पभपुढविगमसरिसा णव वि गमगा भाणियव्या xxx एवं जाव-'छठ्ठपुढवि' त्ति०) उनमें प्रथम के तीन गमकों में छ लेश्या, मध्यम के तीन गमकों में आदि की तीन लेश्या तथा शेष के तीन गमकों में छ लेश्या होती हैं। ('५८१२)। --भग० श २४ । उ १ । प्र ७४, ७५ । पृ० ८२१ '५८.३२ पर्याप्त संख्यात् वर्ष की आयुवाले संज्ञी मनुष्य से बालुकाप्रमापृथ्वी के नारकी में उत्पन्न होने योग्य जीवों में : गमक-१-६ : पर्याप्त संख्यात् वर्ष की आयुवाले संज्ञी मनुष्य से बालुकाप्रभापृथ्वी के नारकी में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं (पज्जत्तसंखेज्जवासाउयसन्निमणुस्से गं भंते ! जे भविए सकरप्पभाए पुढवीए नेरइएसु जाव०-उववज्जित्तए xxx ते णं भंते !० सो चेव रयणप्पभपुढविगमओ णेयव्यो x x x सेसं तं चेव, जाव'भवाएसो' त्ति | xxx एवं एसा ओहिएमु तिसु गमएसु मणुसस्स लद्धी।xxx/ग० १-३ । सो चेव अप्पणा जहन्नकालटिईओ जाओ, तस्स वि तिसुवि गमएसु एस चेव लद्धी। xxx सेसं जहा ओहियाणं । xxx।-ग० ४-६। सो चेव अप्पणा उक्कोसकालटिईओ जाओ। तस्स वि तिसु वि गमएसु xxx सेसं जहा पढमगमए। xxx ग० ७-६ । एवं जाव-छट्टपुढवी ) उनमें नव ही गमकों में छ लेश्या होती हैं । -भग० श २४ । उ १ । प्र १०१-१०४ । पृ० ८२४ ५८४ पंकप्रभापृथ्वी के नारकी में उत्पन्न होने योग्य जीवों में :५८.४.१ पर्याप्त संख्यात् वर्ष की आयुवाले संज्ञी पंचेंद्रिय तिर्यंच योनि से पंकप्रभापृथ्वी के नारकी में उत्पन्न होने योग्य जीवों में :-- गमक-१-६ : पर्याप्त संख्यात् वर्ष की आयुवाले संज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनि से पंकप्रभापृथ्वी के नारकी में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( देखो पाठ ५८३.१ ) उनमें प्रथम के तीन गमकों में छ लेश्या, मध्यम के तीन गमकों में आदि की तीन लेश्या तथा शेष के तीन गमकों में छ लेश्या होती हैं। -भग० श २४ । उ १। प्र ७४-७५ । पृ० ८२१ ५८४ २ पर्याप्त संख्यात् वर्ष की आयुवाले संज्ञी मनुष्य से पंकप्रभापृथ्वी के नारकी में उत्पन्न होने योग्य जीवों में :गमक-१-६ : पर्याप्त संख्यात् वर्ष की आयुवाले संज्ञी मनुष्य से पंकप्रभापृथ्वी के नारकी में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं (देखो पाठ ५८.३.२ ) उनमें नौ गमकों ही में छ लेश्या होती हैं। -भग० श २४ । उ १ । प्र १०१-१०४ । पृ० ८२४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016037
Book TitleLeshya kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1966
Total Pages338
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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