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________________ ६० लेश्या - कोश लाक में तीन लेश्या होती है- यथा, तेजोलेश्या, पद्मलेश्या, शुक्ललेश्या । ख - बकुस में :-- एवं बससवि । बस में पुलाक की तरह तीन लेश्या होती है । - प्रतिसेवना कुशील में : एवं पडिसेवणाकुसीलेवि । ग— - भग० श २५ | उ ६ । प्र८६ | पृ० ८८२ - भग० श २५ । उ ६ । प्र ८ । पृ० ८८२ प्रतिसेवना कुशील में भी पुलाक की तरह तीन लेश्या होती है । नोट :- तत्त्वार्थ के भाष्य में बकुस और प्रतिसेवना कुशील में ६ लेश्या बताई है । कुश प्रतिसेवनाकुशीलयोः सर्वाः षडपि । –तत्त्व अ ६। सू ४६ । भाष्य | पृ० ४३५ घ- कषाय कुशील में : कसायकुसीले पुच्छा । गोयमा ! सलेस्से होज्जा णो अलेस्से होज्जा, जइ सलेस्से होज्जा से णं भंते! कइसु लेस्सासु होज्जा ? गोयमा ! छसु लेस्सासु होजा, तंजहा, कण्हलेस्साए जाव सुक्कलेस्साए । -भग० श २५ । उ ६ । प्र ६० | पृ० ८८२ कषाय कुशील में छः लेश्या होती है । नोट :- तत्त्वार्थ भाष्य में कषाय कुशील में तीन शुभलेश्या बताई है । Jain Education International - तत्त्व० अ ६ | सूत्र ४६ | भाष्य । पृ० ४३५ ड-निर्ग्रन्थ में :-- नियंठे णं भंते! पुच्छा । गोयमा ! सलेस्से होज्जा, णो अलेस्से होज्जा । जइ सलेस्से होज्जा, से णं भंते! कइसु लेस्सासु होज्जा ? गोयमा ! एगाए सुक्कलेस्साए होज्जा | - भग० श २५ । उ ६ । प्र ६१ । पृ० ८८२ निर्ग्रथ में एक लेश्या होती है। 1 च - स्नातक में : --- सिणाए पुच्छा । गोयमा ! सलेस्से वा होज्जा, अलेक्से वा होज्जा, जइ सस्से होज्जा से णं भंते! कइसु लेस्सासु होज्जा ? गोयमा ! एगाए परमसुक्कलेस्साए होज्जा । -भग० श २५ । उ ६ । प्र ६२ । ८८२ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016037
Book TitleLeshya kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1966
Total Pages338
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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