SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 106
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ लेश्या - कोश ६ तिर्यच में तिरिक्ख जोणियाणं भंते ! कइ लेस्साओ पन्नत्ताओ ? गोयमा ! छल्ले - साओ पन्नताओ, तंजहा - कण्हलेस्सा जाव सुक्कलेस्सा । तिर्यंच के कृष्ण यावत् शुक्ल छओं लेश्या होती है । १० एकेन्द्रिय में - पण्ण० प १७ । उ २ | सू १३ । पृ० ४३८ (क) एगिंदियाणं भंते! कर लेस्साओ पन्नत्ताओ ? गोयमा चत्तारि लेस्साओ पन्नत्ताओ, तंजहा - कण्हलेस्सा जाव तेऊलेसा । ६५ १३ । पृ० ४३८ १२ | पृ० ७६१ एकेन्द्रिय के चार लेश्या होती है, यथा - कृष्णलेश्या, नीललेश्या, कापोतलेश्या, तेजोलेश्या । - पण्ण० प० १७ उ २ । सू० -भग० श १७ । उ १२ । प्र * ११ पृथ्वीकाय में (क) पुढविकाइयाणं भंते! कइ लेस्साओ पन्नत्ताओ ? गोयमा ! ( जहा एगिंदियाणं ) । Jain Education International -- पण्ण० प १७ । उ २ । सू १३ | पृ० ४३८ (ख) ( पुढविकाइया) तेसिणं भंते! जीवाणं कइ लेस्साओ पन्नत्ताओ ? गोयमा ! चत्तारि लेस्साओ पन्नत्ताओ, तं जहा - कण्हलेस्सा, नीललेस्सा काऊलेस्सा तेऊलेस्सा | एवं चेव -भग० श १६ । उ ३ । प्र २ । पृ० ७८२ (ग) असुरकुमाराणं चत्तारि लेस्सा पन्नत्ता, तंजहा कण्हलेस्सा नीललेस्सा काऊलेस्सा तेऊलेस्सा एवं जाव थणियकुमाराणं एवं पुढविकाश्याणं । - ठाण० स्था ४ । उ ३ | सू ३६५ | पृ० २४० (घ) भवणवश्वाणमंतर पुढविआउवणरसइकाइयाणं च चत्तारि लेस्साओ । ठाण० स्था २ । उ १ । सु ७२ | पृ० १८४ पृथ्वीकाय के जीवों में चार लेश्या होती है, यथा- कृष्णलेश्या, नीललेश्या, कापोतलेश्या, तेजोलेश्या । (च) (पुढविकाइए पं भंते! जे भविए पुढविकाइएस उववज्जित्तए ) चत्तारि लेस्साओ । -भग० श २४ | उ १२ । प्र ४ | पृ० ८२६ पृथ्वीकाय में उत्पन्न होने योग्य पृथ्वीकायिक जीवों में चार लेश्या होती है । ε For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016037
Book TitleLeshya kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1966
Total Pages338
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy