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________________ ६२ लेश्या - कोश कण्हलेस्साणं भवसिद्धियाणं नेरइयाणं वग्गणा, एगा कण्हलेस्साणं अभवसिद्धियाणं नेरइयाणं वग्गणा, एवं जस्स जइ लेस्साओ तस्स तर भाणियव्वाओ, जाव माणियाणं । कृष्णलेशी भवसिद्धिक जीवों की एक वर्गणा होती है तथा कृष्णलेशी अभवसिद्धिक जीवों की एक वर्गणा होती है इसी प्रकार छओं लेश्याओं में दो-दो पद कहना । कृष्णलेशी भवसिद्धिक नारक जीवों की एक वर्गणा, कृष्णलेशी अभवसिद्धिकों की एक वर्गणा तथा इसी प्रकार दण्डक में यावत् वैमानिक जीवों तक जिसके जितनी लेश्या हो उतनी भवसिद्धिकअभवसिद्धिक वर्गणा कहना । (४) एगा कण्हलेस्साणं समदिट्ठियाणं वग्गणा, एगा कण्हलेस्साणं मिच्छादिया वग्गणा, एगा कण्हलेस्साणं सम्ममिच्छदिट्ठियाणं वग्गणा, एवं छसु वि लेस्सासु जाव वैमाणियाणं जेसिं जइ दिट्ठीओ । कृष्णलेशी सम्यक दृष्टि जीवों की एक वर्गणा होती है, कृष्णलेशी मिथ्या दृष्टि जीवों की एक वर्गणा तथा कृष्णलेशी सम-मिथ्या दृष्टि जीवों की एक वर्गणा । इसी प्रकार छओं लेश्याओं में तथा दण्डक के जीवों में यावत् वैमानिक जीवों तक जिसके जितनी लेश्या तथा दृष्टि हो उतनी सम्यक् दृष्टि, मिथ्या दृष्टि तथा सममिथ्या दृष्टि व लेश्या की अपेक्षा जीवों की दृष्टि वर्गणा कहना | (५) एगा कण्हलेस्साणं कण्हपक्खियाणं वग्गणा, एगा कण्हलेस्साणं सुक्कपक्खियार्ण वग्गणा, एवं जाव वैमाणियाणं, जस्स जइ लेस्साओ, एए अट्ठ चउवीसदण्डया । कृष्णलेशी कृष्णपक्षी जीवों की एक वर्गणा है, कृष्णलेशी शुक्लपक्षी जीवों की एक वर्गणा है । इसी प्रकार छओं लेश्याओं में तथा दण्डक के यावत् वैमानिक जीवों तक में जिसके जितनी लेश्या तथा जो पक्षी हो उतनी कृष्णपक्षी शुक्लपक्षी वर्गणा कहना । वर्गणा शब्द की भावाभिव्यक्ति अंग्रेजी के Grouping शब्द में पूर्ण रूप से व्यक्त होती है । सामान्यतः समान गुण व जातिवाले समुदाय को वर्गणा कहते । - ठाण० स्था १ । सू. ५१ । पृ० १८४-१८५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016037
Book TitleLeshya kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1966
Total Pages338
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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