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________________ ( 69 ) । عر گر کر تو <<WWW.CCMSWW . . عر م م م م م विषय ३५ भव ३६ वर्धमान तीर्थ कर के २७ बोलों का यन्त्र ३७ भगवान महावीर के समय में भगवान पार्श्वनाथ की परम्परा .१ औधिक अनगार .२ सर्वज्ञ अवस्था में-पावपत्य अणगारों से सम्पर्क .३ कालस्यवेषिपुत्र अणगार का चतुर्याम से पंचयाम धर्म-स्वीकार .४ गांगेय अणगार .५ पाश्वपत्य केशीकुमार श्रमण .६ केशीकुमार श्रमण .७ वैशालिक श्रावक पिंगल निग्रन्थ .८ मुनिचन्द्राचार्य और वर्द्धनसूरि .६ नन्दीषण .१० प्रगल्भा और विजय नाम शिष्या .११ उदक पेढाल पुत्र-भावितीर्थ कर .१२ चित्त सारथि .१३ गोशालक के शिष्यों के तप .१४ साधुओ की संख्या का विवरण .१४क गण और गणधर .१५ तीर्थोत्पत्ति .१६ श्रमण भगवान महावीर की जीवन-झांकी-धर्म देशना ३ भगवान महावीर और आगम .५ भगवान महावीर और पंच महावत की भावना .५क परिषह .६ स्वयं बुद्ध .७ उपधि तथा लिंग .८ भगवान का रोग और लोकोपवाद रेवती गाथापत्नी .६ भगवान का आहार .१ बाल्यभाव में आहार .२ केवली अबस्था में आहार .१० भगवान महावीर का श्रमणों से प्रश्न .११ भगवान महावीर और भावी तीर्थ कर महापद्म १ जीवन .२ महापद्म की प्ररूपणा .१२ भगवान महावीर के विशिष्ट सिद्धांत ६७ ६८ ७२ ७५ ७७ ७ % ७६ ७६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016034
Book TitleVardhaman Jivan kosha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1988
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
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