SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 69
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ विषय सूची विषय -संकलन-सम्पादन में प्रयुक्त ग्रन्थों की संकेत सूची -आशीर्वचन -आचार्य तुलसी -जेन वाङ्मय का दशमलव वर्गीकरण -जीव का वर्गीकरण -जीवनी का वर्गीकरण भूमिका (Foreword) डा. ज्योतिप्रसाद जैन -प्रकाशकीय प्रस्तावना दो शब्द -श्री नवरतनमल सुराना ००/४ वर्धमान (महावीर) के चतुर्विध संघ का निरूपण ०० भगवान के चतुर्विध संघ के प्रमाण का निरूपण (ग) भगवान महावीर को अरिहंत पद में ग्रहण (घ) तीर्थकर पद-अन्तर (च) वर्धमान और सप्रतिक्रमण सहित पाँच महावत (छ) वर्धमान तीर्थ कर तथा पूर्वगत श्रुत जिनांतर में कालिक श्रत (ज) भगवान महावीर के तीर्थ में तीर्थ कर गोत्र उपार्जन करनेवाले जीव (झ) पंचम आरा और भगवान का परिनिर्वाण (अ) भगवान के परिनिर्वाण के बाद- भगवान के जन्म नक्षत्र पर भष्मराशि महाग्रह का आगमन (ट) भगवान के परिनिर्वाण के समय नव मल्लकीवंश और नव लिच्छवीवंश के गणराजाओं के पौषधोपवास (ठ) भगवान महावीर के परिनिर्वाण के बाद कंथु आदि जीवों की समुत्पत्ति होने से साधु-साध्वियों का भत्त-प्रत्याख्यान (ड) तीर्थ कब तक चलेगा (ढ) केवलज्ञान के उत्पन्न होने के बाद के अतिशय (ण) वर्धमान महावीर की अवगाहना (त) महाराज की पदवी (थ) त्रिपृष्ठ वासुदेव का नरक -गमन Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016034
Book TitleVardhaman Jivan kosha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1988
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy