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________________ ( 39 ) जंबू के पश्चात कुछ समय तक दोनों परंपराएँ आचार्यों का भेद स्वीकार करती है और भद्रबाहु के समय फिर दोनों एक बन जाती है। जंबू स्वामी के पश्चात् 'दस वस्तुओं' का लोप माना जाता है, यथा गण- परमोहि-पुलाए, आहारग-खवग उवसमे कप्पे । संजय-तिय-केवलि सिज्मणाय जंबुम्भि बुच्छिन्ना ।। -विशेभा० गा २५६३ परमावधि ज्ञान, पुलाकलब्धि, आहारग शरीर, क्षपकाउपसम श्रेणी, जिनकल्पिक, त्रिकसंयम (परिहारविशुद्धि-सूक्ष्मसंपराय, यथाख्यात चारित्र ) केवलज्ञान, सिद्ध-इन दस वस्तुओं का जंबू के परिनिर्वाण के बाद विच्छन्न हो गया । आचार और श्रत विषयक मतभेद तीव होते-होते वीर निर्वाण की छठी-सातवीं शताब्दी में एक मूल दो भागों में विभक्त हो गया । किंवदन्ती के अनुसार वीर निर्वाण के ६०६ वर्ष के पश्चात् दिगम्बर संप्रदाय का जन्म हुआ, यह श्वेताम्बर मानते हैं और दिगम्बर मान्यतानुसार वीर निर्वाण ६०६ में श्वेताम्बर संप्रदाय का प्रारंभ हुआ। चैत्यघास और संधिग्न ___ स्थानांगसूत्र में भगवान महावीर के नौ गणों का उल्लेख मिलता है। इनके नाम क्रमशः इस प्रकार है १-गोदासगण २-उत्तर-बलिस्सहगण ३-उद्दे हगण ४-चारणगण ५-उडुपाटितगण ६-वेशपाटितगण ७-कामद्धिंगण ८-मानवगण ६-कोटिकगण १-गोदास भद्रबाहु स्वामी के प्रथम शिष्य थे। उनके नाम से गोदासगण का प्रवर्तन हुआ। उत्तर-बलिस्सह आर्य महागिरि के शिष्य थे। दूसरे गण का प्रवर्तन इनके द्वारा हुआ। आर्य सुहस्ती के शिष्य स्थविर रोहण से उद्देहगण, स्थविर श्री गुप्त से चारणगण, भद्रयश से उडुपाटितगण, स्थविर कामर्द्धि से वेशपाटिकगण और उसका अन्तर कुल कामर्द्धिगण, स्थविर ऋषिगुप्त से मानवगण और आर्य सुस्थित-मुप्रतिबुद्ध से कोटिकगण प्रवर्तित हुआ। वीर निर्वाण की नवीं शताब्दी (८५०) में चैत्यवास की स्थापना हुई । अभय देवसूरि देवगिणि के पश्चात् जैन शासन की वास्तविक परम्परा का लोप मानते हैं। भगवान महावीर के उत्तराधिकारी सुधर्मा के नाम से गण को सौधर्मगण कहा गया है। १ आगम अष्टोत्तरी, ७१ । देवढिखमासमणजा, परम्परा भावो वियाणे मि । सिढिलायारे ठविया, दब्वेण परम्परं पहुहा ।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016034
Book TitleVardhaman Jivan kosha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1988
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
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