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________________ ( २८६ ) .१ रथमुसल संग्राम कालकुमार-- "१ तेणं कालेणं तेणं समएणं इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे चंपा नयरी होत्था । xxx तत्थणं पाए नयरीए सेणियस्स रन्नो भजा कूणियस्स रन्नो चुल्लमा. उया काली नामं देवी होत्थाxxx। तीसेणं कालीए देवीए पुत्ते काले नामं कुमारे होत्था |xxx तएणं से काले कुमारे अन्नया कयाइ तिहिं दन्तिसहस्सेहि, तिहि रहसहस्सेहि, तिहिं आससहस्सेहि, तिहिं मणुयकोडीहिं, गरुलवूहे एकादसमेणं खंडेणं कूणिएणं रम्ना सद्धिं रहमुसलं संगाम ओयाए। xxx 'काली' इ समणे भगवं कालिं देवि एवं क्यासी ‘एवं खलु, काली, तष पुत्ते काले कुमारे तिहिं दन्तिसहस्सेहिं जाव कूणिएणं रन्ना सद्धिं रहमुसलं संगाम संगामेमाणे हयमहियपवरवीरघाइयणिपडियचिन्धज्मयपडागे निरालोयाओ दिसाओ करेमाणे चेडगस्स रन्नो सपक्खं सपडिदिसि रहेणं पडिरहं हव्यमागए। तएणं से चेडए राया कालं कुमारं एजमाणं पासइ । पासात्ता आसुरूते जाव मिसिमिसेमाणे धणुं परामुसइ। परामुसइत्ता उसुं परामुसरत्ता पासाहं ठाणं ठाइ ठाइत्ता आययकण्णाययं उसुं करेइ । करेइत्ता कालं कुमारं एगाहच्वं कूडाहच्चं जीवियाओ ववरोवेह । भन्तेत्ति भगवं गोयमे जाप वन्दइ नमसइ नमसइत्ता एवं वयासी-काले णं भन्ते ! कुमारे तिहिं दन्ति सहस्सेहिं जाव रहमूसलं संगामं संगामेमाणे बेडएणं रन्ना एगाहच्वं कूडाहच्वं जीवियाओ ववरोविए समाणे कालमासे कालं किया कहिं गए, कहिं उबवन्ने । रथमुसल संग्राम ___ गोयमाइ समणे भगवं गोयम एवं वयासी-एवं खलु गोयमा ! काले कुमारे तिहिं दन्तिसहस्सेहिं जीवियाओ ववरोविए समाणे कालमासे कालं किच्चा चउत्थीए पंकप्पभाए पुढचीए हेमाभे नरगे दससागरोधमठिइएसु नेरइएसुनेरइयत्ताए उपवन्ने। . निर० व १/पृ०५ से ८ उस काल उस समय में इसी मध्य जम्बूद्वीप में भरत नामक क्षेत्र है। उसके मध्य भाग में चम्पा नाम की नगरी थी। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016034
Book TitleVardhaman Jivan kosha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1988
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
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