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________________ ( २५४ ) __ “साध्वियों के मन में इस प्रकार का संकल्प हुआ है कि-"यह चेल्लणा देवी महाऋद्विशाली है, महासुखवाली है और मनुष्य संबंधी कामभोगों को भोगती है। यदि हमारे सुचरित, तप, नियम और ब्रह्मचर्य पालन का सुफल हो तो हम भी भवान्तर में ऐसे भोगों को प्राप्त करे।" हे आर्यो ! तुम लोगों के मन में ऐसे विचार हुए, क्या यह सच है ? उन्होंने उत्तर दिया कि-हे भदन्त ! जैसे आप फरमाते हैं-वह ऐसा ही है । अनंतर भगवान ने जो कहा सो कहते हैं हे आयुष्यमान् श्रमणो ! इस प्रकार मैंने श्रुतचारित्र रूप धर्म प्रतिपादन किया है । यह निर्ग्रन्थ प्रवचन सत्य है अर्थात यथार्थ है। सर्वोपरिवर्तमात्र है। सर्वार्थ संपन्न है । अद्वितीय है। समस्त दोषों से रहित है । न्याययुक्त है। अथवा मोक्ष की ओर ले जाने में समर्थ है। ___ माया-निदान-मिथ्यादर्शन रूप तीन शल्य को काटने वाला है। सिद्धि का मार्ग है। सकल कर्मों का क्षयलक्षण मुक्ति का मार्ग है। मोक्ष का मार्ग है। सकल दुःख की निवृत्ति का मार्ग है। यथार्थ है । संशय, विपर्यय और अनध्यवसाय रूप तीन दोषों से रहित है। शारीरिक मानसिक आदि असाता के विनाश का कारण है । इस निर्ग्रन्थ प्रवचन में रहे हुए जीव कृतकृत्य होकर सिद्ध हो जाते है । विमल केवल आलोक से सकल लोकालोक को जानते हैं। कर्म बंधन से मुक्त हो जाते हैं। समस्त शारीरिक सब दुःखों का नाश करते हैं। इस विषय में और भी कहते हैं - जिस धर्म को ग्रहण आसेवन रूप शिक्षा के लिए उपस्थित हुआ निर्ग्रन्थ-साधु भूख, प्यास, शीत और उष्ण आदि नाना प्रकार के परीषहों को ग्रहण करता है, उसके चित्त में यदि मोह कर्म के उदय से काम विकार उत्पन्न हो जाय तो भी साधु संयम मार्ग में पराक्रम करे। पराक्रम करता हुआ वह साधु देखता है कि ये उत्तम माता-पिता के वश में उत्पन्न हुए भोग पुत्र-जिनको ऋषभदेव भगवान ने लोगों में गुरुपने स्थापित किये--उनमें से ऐश्वर्य संपन्न किसी एक को दास-दासी ठाटबाट पूर्वक आते-जाते देखकर साधु निदान कम करता है । . अब भगवान के उपदेश की सफलता का वर्णन करते हैं । निदान कर्म और उसके फल का निरूपण करने के बाद निदान कर्म के विचार करने Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016034
Book TitleVardhaman Jivan kosha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1988
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
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